Modi Surname Controversy: मोदी सरनेम मामले में मानहानि का सामना कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उनका माफी मांगने का कोई इरादा नहीं है। राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके खुद को दोषसिद्धी पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली अपनी याचिका में राहुल गांधी ने कहा कि वह “हमेशा इस बात पर कायम रहे हैं कि वह अपराध के लिए दोषी नहीं हैं और यह दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है।” अगर उन्हें माफी मांगनी होती और समझौता करना होता, तो उन्होंने यह काम बहुत पहले ही कर लिया होता।”

कांग्रेस नेता ने कहा- उन्हें बोलते हुए प्रतिवादी पूर्णेश मोदी ने खुद नहीं सुना

राहुल ने कहा कि प्रतिवादी पूर्णेश मोदी ने उन्हें विवादित भाषण देते हुए व्यक्तिगत रूप से नहीं सुना था और उनका मामला केवल आईएएनएस के एक लेख के व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट के आधार पर दायर किया गया था, जिसमें उन्होंने भाषण में अपने संदर्भों को आसानी से शामिल किया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि शुरुआत से ही इसे केवल धारणाओं और अनुमानों के आधार पर आगे बढ़ाया गया था। उन्होंने कहा, “प्रतिवादी व्हाट्सएप संदेश के स्रोत का खुलासा करने में विफल रहा है, जिसकी वजह उनको अच्छी तरह से पता है।”

दोषसिद्धि पर रोक लगाने पर विचार एक असाधारण परिस्थिति है

राहुल ने कहा कि मानहानि आईपीसी के तहत 22 अपराधों में से एक है जिसमें केवल साधारण कारावास का प्रावधान है और जहां तक दोषसिद्धि पर रोक लगाने पर विचार की बात है तो यह अपने आप में एक असाधारण परिस्थिति है।

कांग्रेस नेता ने कहा, “वह एक सांसद और विपक्ष के नेता थे, और इसलिए उनके लिए सत्ता प्रतिष्ठान के आचरण और प्रदर्शन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना आवश्यक था। मानहानि के इरादे का अंदाजा लगाने के लिए भाषण को पूरा पढ़ना जरूरी होगा। किसी भी मामले में ये कारक गंभीरता के संबंध में अपराध के चरित्र को नहीं बदलेंगे।

इसके अलावा प्रावधानों के अवलोकन से यह निर्विवाद है कि मानहानि एक गैर संज्ञेय, जमानती और समझौता योग्य अपराध है। क़ानून में प्रयुक्त भाषा के अनुसार समाज के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में यह नहीं आता है।”