कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को लद्दाख के करगिल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “कुछ महीने पहले, हम कन्याकुमारी से कश्मीर तक चले थे, इसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कहा जाता था। इसका उद्देश्य देश में भाजपा-आरएसएस द्वारा फैलाई गई नफरत और हिंसा के खिलाफ खड़ा होना था… यात्रा से जो संदेश निकला वह था-‘नफरत के बाजार में हम मोहब्बत की दुकान खोलने निकले हैं।’ पिछले कुछ दिनों में मुझे खुद यह देखने को मिला। यात्रा के समय सर्दियां होने और बर्फ गिरने से मैं लद्दाख नहीं जा सका। लद्दाख में यात्रा करना मेरे दिल में था और इस बार मैंने इसे मोटरबाइक पर आगे बढ़ाया।”
भाजपा बोली- कांग्रेस नेता आधारहीन बयानबाजी में माहिर
कांग्रेस सांसद ने कहा, “लद्दाख एक रणनीतिक स्थान है…एक बात तो साफ है कि चीन ने भारत की ज़मीन छीनी है…दुख की बात है कि विपक्ष की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि लद्दाख का एक इंच भी चीन ने नहीं लिया है, यह एक झूठ है…लद्दाख का हर व्यक्ति जानता है कि पीएम मोदी सच नहीं बोल रहे हैं।” इस पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि चीन को लेकर राहुल गांधी का बयान अनर्गल है। उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी को चीन से इतना लगाव क्यों है। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने चीन की मदद की थी।
राहुल गांधी ने लद्दाख के लोगों की आवाज दबाने का लगाया आरोप
कांग्रेस नेता ने कहा कि लद्दाख दौरे में आपने मुझे बताया कि आपकी राजनीतिक आवाज दबाई जा रही है। आपके अधिकार आपको नहीं मिल रहे हैं। आपसे रोजगार के झूठे वादे किए गए थे, यहां बेरोजगारी चरम पर है। यहां जो कम्युनिकेशन सिस्टम होना चाहिए, वो नहीं है। आपकी इन सभी परेशानियों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी आपके साथ खड़ी है। गांधी जी और कांग्रेस की विचारधारा, लद्दाख के खून में है। राहुल गांधी ने कहा कि जब भी देश को आपकी ज़रूरत पड़ी है, जब भी बॉर्डर पर युद्ध हुआ है, तो कारगिल के लोग एक आवाज़ पर देश के लिए खड़े हुए हैं। ये आपका इतिहास है, इसलिए मैं आपका दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, “लद्दाख में बहुत सारे नेचुरल रिसोर्सेस हैं। मोदी सरकार जानती है कि अगर आपको प्रतिनिधित्व दिया जाए, तो वे आपसे आपकी जमीन नहीं ले पाएंगे। भाजपा के लोग आपसे आपकी जमीन लेना चाहते हैं। अडानी जी के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स लगाना चाहते हैं, लेकिन उन प्रोजेक्ट्स का फायदा आपको नहीं देना चाहते। हम ऐसा कभी होने नहीं देंगे।”
जब मैं लद्दाख में यात्रा कर रहा था, तो कई मजदूरों से बात की। वे अलग-अलग राज्यों से आकर यहां मजदूरी करते हैं। मैंने उनसे पूछा कि- आपको लद्दाख के लोग कैसे लगते हैं?
सभी मजदूरों ने मुझे बताया कि- ऐसा लगता है लद्दाख हमारा दूसरा घर है। हमें जब भी कोई परेशानी होती है, लद्दाख के लोग हमारी पूरी मदद करते हैं। मैं लद्दाख के कोने-कोने में गया। गरीबों, माताओं-बहनों और युवाओं से बात की। आपके दिल की बात समझने की कोशिश की। दूसरे नेता अपने ‘मन की बात’ करते हैं। मैंने सोचा मैं आपके मन की बात सुनूं।