उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल से भी ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है। कांग्रेस की पूर्वी उत्तर प्रदेश की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा खुद योगी सरकार को चुनौती देने के लिए रण में उतर गई हैं। खबर है कि प्रियंका गांधी की 6 महीनों से जारी तलाश खत्म हो गई है और उन्होंने अपने लिए राजधानी लखनऊ में एक स्थाई ठिकाना ढूंढ लिया है।

कॉलमनिस्ट स्वाती चतुर्वेदी द्वारा एनडीटीवी के लिए लिखे गए एक ब्लॉग के मुताबिक कांग्रेस महासचिव ने लखनऊ में एक किराये का मकान लिया है। इसके पीछे मकसद यह है कि प्रियंका गांधी ज्यादा से ज्यादा वक्त राजधानी में बिता सकें और लोगों के संपर्क में रहें। साथ ही योगी सरकार को और बेहतर तरीके से काउंटर कर सकें।

आपको बता दें कि महासचिव पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रियंका अक्सर उत्तर प्रदेश का दौरा करती रही हैं। हाल ही में उन्होंने अपना जन्मदिन भी उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं के साथ ही मनाया था, इसके बावजूद विपक्षी और आलोचक प्रियंका पर आरोप लगाते रहते हैं कि यूपी की सियासत में उनकी दिलचस्पी कभी-कभी ही जागती है। ऐसे में लखनऊ में निवास के बाद प्रियंका गांधी के राज्य की सियासत में और सक्रिय होने की संभावना है। पार्टी नेताओं के मुताबिक प्रियंका गांधी की सक्रियता से कांग्रेस को दो मोर्चों पर मजबूती मिलेगी. पहला, कार्यकर्ताओं का मनोबल तो बढ़ेगा ही। साथ ही लंबे समय से निष्क्रिय संगठन को दोबारा खड़ा करने में भी मदद मिलेगी।

चुनाव से पहले कैडर को खड़ा करने की चुनौती:
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करीब दो साल का वक्त बचा है। ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती कैडर को दोबारा खड़ा करने और इसे और मजबूत करने की है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक प्रियंका गांधी के लखनऊ आने के बाद इस काम में और मदद मिलेगी। संगठन को नए सिरे से मजबूत किया जाएगा। गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले ही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपने संगठन में व्यापक बदलाव किया था. नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ अन्य कई पदों पर भी नए लोगों को जिम्मेदारियां दी गई थीं। कहा गया कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अजय कुमार लल्लू हों या दूसरे नेता, सबकी ताजपोशी प्रियंका गांधी की सहमति के बाद ही की गई। ऐसे में प्रियंका ने अपने इरादे साफ कर दिये थे कि उनकी निगाह यूपी विधानसभा चुनाव पर है।