कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आलोचना की है और इसका जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ठहराया है। दरअसल दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले से उन्हें आपत्ति है। राज्यपाल ने सही प्रक्रिया अपनायी थी और पहले सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया, फिर दूसरी बड़ी पार्टी को न्योता दिया। जब दोनों पार्टियां बहुमत साबित नहीं कर पायीं तो राज्यपाल ने तीसरी बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया, जिसके लिए आज रात 8 बजे तक का समय दिया गया था।”
दिग्विजय सिंह ने कहा कि “जब एनसीपी को दिया गया समय बचा हुआ था, तो फिर राज्यपाल ने आज दोपहर में ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी। यह उचित नहीं है। वैसे तो जो नियम-कानून है या सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि जब बहुमत को लेकर स्थिति साफ ना हो तो सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए, जो कि भाजपा ने गोवा, मेघालय, मणिपुर में नहीं अपनाया गया, लेकिन यहां अपनाया। लेकिन अब ऐन वक्त पर जो बदलाव हुआ है, उस पर हमें आपत्ति है।”
वहीं दिग्विजय सिंह का यह बयान जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, लोगों ने उन्हें ही ट्रोल करना शुरु कर दिया। एक यूजर ने लिखा कि आप लोग बीते 18 दिनों से क्या कर रहे थे क्या आपको एक माह चाहिए?
#WATCH Digvijaya Singh, Congress: …This decision (President’s Rule in Maharashtra) has been taken under pressure from Prime Minister and Home Minister, we object to this. pic.twitter.com/GRaEoTPG5P
— ANI UP (@ANINewsUP) November 12, 2019
What were u ppl doing from 18 days were this not enough u need a month or what ???
— deeppatel25 (@deeppatelguj) November 12, 2019
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— deeppatel25 (@deeppatelguj) November 12, 2019
Objection over ruled
— Poojan Shah (@CAMojoJojo) November 12, 2019
The statement made by Congress Leader is incorrect and blaming of PM & HM is absolutely incorrect without knowing the fact..
— Saurav Sinha (@sauravs_sinha) November 12, 2019
बता दें कि महाराष्ट्र में राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। राज्यपाल से सरकार बनाने का न्योता मिलने पर भाजपा और शिवसेना बहुमत के आंकड़े नहीं पेश कर पायीं, जिसके बाद राज्यपाल ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजूर कर लिया। वहीं राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राजनैतिक पार्टियों ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और चर्चा कर राज्य में स्थायी सरकार बनाने की कोशिश करेंगे।