केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन के बीच बुधवार को राहुल गांधी, शरद पवार समेत पांच विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। विपक्षी नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध किया। विपक्षी दलों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, और डीएमके नेता टीकेएस इलंगोवान शामिल थे।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करके राष्ट्रपति से मुलाकात के फैसले पर नाउम्मीदी जताई। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति जी से किसान विरोधी क़ानून को वापस लेने के लिए 24 राजनैतिक दलों का डेलीगेशन आज मिलने जा रहा है। मुझे महामहिम जी से कोई उम्मीद नहीं है। इन 24 राजनैतिक दलों को NDA में उन सभी दलों से भी चर्चा करना चाहिए जो किसानों के साथ हैं। नीतीश जी को मोदी जी पर दबाव डालना चाहिए।”
राष्ट्रपति जी से किसान विरोधी क़ानून को वापस लेने के लिए 24 राजनैतिक दलों का डेलीगेशन आज मिलने जा रहा है। मुझे महामहिम जी से कोई उम्मीद नहीं है। इन 24 राजनैतिक दलों को NDA में उन सभी दलों से भी चर्चा करना चाहिए जो किसानों के साथ हैं। नितीश जी को मोदी जी पर दबाव डालना चाहिए
— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) December 9, 2020
उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने गुस्सा जताया। झांझी अक्षय @akshayspeaks2 नाम के एक यूजर ने पूछा कि “राष्ट्रपति से उम्मीद नहीं है तो क्या हाफिज सईद से है?” लिखा कि “आप जैसे लोगों को जिस देश मे खाते है वहा की सरकार से उम्मीद नही वहाँ के महामहिम से भी उम्मीद नही आप जैसो को तो इस्लामिक आतंकी हाफिज सईद, जाकिर नाईक जैसो से जो उम्मीद रहती है!”
योगी देवनाथ @YogiDevnath2 नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा, “मैं तो आज सारे काम छोड़ कर लिख रहा हूं, क्योंकि मुझे मेरे प्रधान सेवक की बेइज्जती का बदला लेना है क्या आपको नहीं लेना बदला? आप भी लिखिये मेरे साथ…।”
हिंदुस्तान सोल्जर @Indian_soldierr नाम के एक दूसरे यूजर ने लिखा, “कांग्रेस के गुंडों ने गरीब किसानों की सब्जियां छीन लीं और नष्ट कर दीं। इस तरह से कांग्रेस ने असली किसानों पर भारत बंद का दबाव डाला।”
सितंबर में बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे।