देश के तीनों हिन्दी भाषी राज्यों-छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, और राजस्थान को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। तीनों ही चहरे एकदम नए हैं और बीजेपी ने जातिगत समीकरण को देखते तीनों के नाम आगे किए हैं। इसके उलट अब सवाल यह उठने लगा है कि इन तीनों राज्यों में हार के कारणों पर समीक्षा बैठक करने के बाद क्या कांग्रेस भी अपना रुख बदलते हुए अपने पुराने चहरों को पीछे करते हुए नए किरदारों को आगे लाने का प्रयास करेगी?
क्या कांग्रेस ऐसा कर पाती?
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के इस कदम ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को चौंका दिया है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस तक में कई नेता बीजेपी के इन फैसलों से आश्चर्यचकित हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या कांग्रेस ने इन राज्यों में जीत हासिल की होती तो भी ऐसा ही किया होता। क्या अशोक गहलोत या कमल नाथ को बाहर कर दिया जाता और नए नेता को सत्ता पर बैठा दिया जाता? क्या ऐसा भूपेश बघेल के साथ भी हो सकता था? अगर पार्टी अगले साल हरियाणा में सत्ता में आती है, तो क्या कांग्रेस हरियाणा में अनुभवी जाट नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा को नज़रअंदाज़ करके एक नया चेहरा सामने लाएगी? क्या वे उत्तराखंड में भी ऐसा ही करेंगे जहां हरीश रावत अभी भी काफी प्रभाव रखते हैं? अगर नजर डालें हिमाचल प्रदेश प्रदेश पर तो वहां कांग्रेस ने एक नया चेहरा सुखविंदर सुक्खू के तौर पर सामने रखा है, लेकिन कांग्रेस लंबे समय तक हिमाचल में नए नाम सामने नहीं ला पाई, यहां वीरभद्र सिंह पहली बार 1983 में सीएम बने और 1985, 1993, 2004 और 2012 वही मुख्यमंत्री बनते रहे।
इस चर्चा में पंजाब अपवाद रहा, जहां पार्टी ने अनुभवी अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटा दिया और चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया। हालांकि अगले ही चुनाव में पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। कुछ साल पहले तक बीजेपी में भी यही स्थिति थी, शिवराज सिंह चौहान 2005 से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, यहां तक कि रमन सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहे, जबकि वसुंधरा राजे ने दो बार इस पद पर बैठी। नरेंद्र मोदी खुद 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
पीएम मोदी ने बदला ट्रेंड
2014 के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व वलयी भाजपा ने कई राज्यों में बदलाव किए और ऐसे नेताओं को पदों पर बैठाया जिनके नामों ने सभी चौंकाया। प्रेम कुमार धूमल को नजरअंदाज कर पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर को सीएम बनाया। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी का नाम भी ऐसे ही सामने आया था। गोवा में लक्ष्मीकांत पारसेकर, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, झारखंड में रघुबर दास काफी चौंकाने वाले नाम थे।