कांग्रेस की दो दिन की CWC बैठक तेलंगाना में समाप्त हो गई है। इस बैठक में राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक मौजूद रहीं, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में कई मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। दो दिन की बैठक के दौरान पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस 2024 के लोकसभा चुनाव पर रहा, आगामी विधानसभा चुनाव में जीत का आश्वसन भी दिखाई दे गया।
AAP से गठबंधन होगा या नहीं, बड़ी हिंट मिल गई
बताया जा रहा है कि इस बार की CWC बैठक में कई नेताओं ने आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली-पंजाब में गठबंधन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। जिस तरह से आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा इस समय छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ ही प्रचार किया जा रहा है, पार्टी नेता उनके साथ किसी भी तरह के गठबंधन के मूड में नहीं है। बड़ी बात ये है कि इंडिया गठबंधन अपनी पिछली मीटिंग के दौरान फैसला कर चुका है कि सभी दलों को अब तय रणनीति के तहत ये सोचना होगा कि कौन कहां से लड़ने वाला है।
अब सीट शेयरिंग पर कोई सहमति बन पाए, उससे पहले ही पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजपा ने CWC मीटिंग में दो टूक कहा है कि राज्य के कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं चाहते हैं। वहीं कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी द्वारा छत्तीसगढ़ और एमपी में पार्टी के खिलाफ ही प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं, ऐसे में गठबंधन कैसे संभव है।
खड़गे का अनुशासन का पाठ
बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी नेताओं की बात को समझा भी है और उन्हें आश्वासन दिया है कि राज्य की टीमों से बात किए बिना कोई भी गठबंधन नहीं किया जाएगा। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा इस बात पर नाराजगी भी जाहिर की गई है कि कई नेता आपसी मतभेद के चलते मीडिया के सामने ही बयान दे रहे हैं जिससे पार्टी को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में उनकी तरफ से दो टूक बोला गया है कि पार्टी में अनुशासन का होना जरूरी है, किसी भी कीमत पर अनुशासनहीता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राहुल का बीजेपी को हराने का मंत्र
बड़ी बात ये है कि इस बार की CWC बैठक में सनानत के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। कई वरिष्ठ नेताओं ने साफ-साफ नसीहत देने का काम किया है कि इस विवाद में फंसने की कोई जरूरत नहीं है। किसी को भी इस विवाद पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पार्टी नेताओं को आगाह करते हुए कहा है कि बीजेपी के ट्रैप में फंसने की जरूरत नहीं है, अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने पर जोर देना है। पार्टी ने सेशन के आखिर में बस संकल्प लिया है कि आगामी विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में इस बार जीत दर्ज करनी है। कानून व्यवस्था, आर्थिक न्याय और समानता के मुद्दों को आगे बढ़ाते हुए लोकतंत्र को बचाने का काम करना है।