Congress : छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय अधिवेशन को राहुल गांधी ने संबोधित किया है। राहुल गांधी ने इस दौरान कहा कि 52 साल की उम्र हो गयी है लेकिन दिल्ली से इलाहबाद तक उनके पास अपना घर तक नहीं है। राहुल गांधी ने इस दौरान भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होने कहा कि यात्रा के दौरान बहुत कुछ सीखा है। राहुल गांधी ने कहा ‘मैं अपने देश के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चला। यात्रा के दौरान हजारों लोग मुझसे और पार्टी से जुड़े। मैंने किसानों की सभी समस्याओं को सुना और उनके दर्द को महसूस किया’

“52 साल की उम्र हो गयी है लेकिन घर तक नहीं”

राहुल गांधी ने इस दौरान कहा कि 52 साल हो गए और मेरे पास अभी भी घर नहीं है, लेकिन जब कश्मीर पहुंचे तो घर जैसा महसूस हुआ। यात्रा सभी जातियों और आयु वर्ग के लोगों को घर जैसा महसूस कराने के लिए थी। यात्रा के दौरान लोग मुझसे राजनीतिक बातें नहीं कर रहे थे लेकिन जब मैं कश्मीर पहुंचा तो सब कुछ बदल गया।

राहुल गांधी ने इस दौरान अपनी एक कॉलेज की घटना का जिक्र किया और कहा कि एक पुरानी चोट थी, जो कॉलेज में फुटबॉल खेलते समय घुटने में लगी थी। सालों से उस चोट में दर्द नहीं था लेकिन जैसे ही यात्रा शुरू की, अचानक दर्द वापस आ गया। उन्होने कहा कि आप (कार्यकर्ता) मेरे परिवार हो, इसलिए आपसे कह सकता हूं। सुबह उठकर सोचता था कि कैसे चला जाए. फिर सोचता था कि 25 किलोमीटर की नहीं, 3 हजार 500 किलोमीटर की बात है। कैसे चलूंगा? 

कांग्रेस पार्टी के संविधान में संशोधन और इसे सख्त बनाने को लेकर गंभीर दिखाई दी है। इसमें अहम चर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर वर्किंग कमेटी (CWC) के चुनाव और इसकी ताकत को और मजबूत करने पर रही है। कांग्रेस का यह राष्ट्रीय अधिवेशन कई लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। भारत जोड़ो यात्रा के बाद ऐसा पहली बार था जब कांग्रेस ने इस लेवल की मीटिंग आयोजित की थी।

क्या-क्या हुए हैं बदलाव ?

कांग्रेस ने राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान दो खास पहलुओं पर गौर करते हुए संविधान में संशोधन किए हैं। कांग्रेस ने इस दौरान तय किया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद की दावेदारी करने वाले नेता के लिए जरूरी होगा कि उसका नाम 100 प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावित किया गया हो। यह संख्या फिलहाल 10 थी।

जब तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनौती दी थी तो उनका नाम 60 प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इच्छुक उम्मीदवारों के लिए 100 प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है, खासकर गैर-संस्थागत उम्मीदवारों के लिए।

CEC का गठन

दूसरे संशोधन में पार्टी से नाराज चल रहे G23 ग्रुप के नेताओं की मांगों को ध्यान में रखा गया है। G23 नेताओं ने CWC चुनाव को लेकर सामूहिक निर्णय लेने के लिए संसदीय बोर्ड तंत्र के में सुधार और पार्टी के चुनाव उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने वाली एक निर्वाचित केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मांग की थी।

प्रस्तावित बदलावों में 12 सदस्यों वाली एक केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) का गठन करने की बात कही गयी है। जिसमें संसद में कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता शामिल होंगे।

सीईसी की स्थापना संसदीय बोर्ड के सदस्यों और एआईसीसी द्वारा चुने गए नौ अन्य सदस्यों को मिलाकर की जाएगी। इसका मतलब है कि पार्टी ने सीईसी को संसदीय बोर्ड से अलग कर दिया है। और यहां तक कि अगर एक संसदीय बोर्ड की स्थापना की जाती है, तो जरूरी नहीं कि इसके सदस्य सीईसी और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के सदस्य होंगे।