राजस्थान प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा है कि केंद्र और राजस्थान में एक ही पार्टी की सरकार होने और राज्य से सभी 25 सांसद भाजपा के होने के बावजूद प्रदेश को केंद्र से मिलने वाली सहायता में अधिक कटौती हो रही है। शायद केंद्र और राज्य में तालमेल नहीं होने का खमियाजा प्रदेश को भुगतना पड़ रहा है।
पायलट ने कहा कि केंद्र से राज्य को अधिक मदद मिलनी चाहिए थी। लेकिन हो रहा है उल्टा। केंद्र और राज्य मेंं ‘राजनीतिक अनबन’ के कारण प्रदेश के हितों पर कुठाराघात नहीं होना चाहिए।

यदि केंद्र और राजस्थान मेंं तालमेल नहीं है तो इसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात को राजस्थान से अधिक केंद्रीय मदद मिल रही है। पायलट ने निवेश सम्मेलन पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि निवेश सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम प्रसारित कर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को बुलाया गया। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यक्रम में नहीं आए जबकि कुछ समय पहले ही गुजरात में इसी तर्ज पर हुए सम्मेलन में प्रधानमंत्री गुजरात गए थे। प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने निवेश सम्मेलन में सरकार द्वारा प्रदेश के निवेशकों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार ने स्थानीय निवेशकों को तवज्जो नहीं दी।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ ही सरकार ने ध्यान दिया। बाहरी कंपनियां पैसा कमाने और सस्ती भूमि लेने के लिए आती हैं। इन कंपनियों का प्रदेश के प्रति कोई सरोकार नहीं होता है। यदि सरकार स्थानीय संकटग्रस्त लघु, सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों के लिए विशेष पैकेज लेकर आती तो अच्छे परिणाम सामने आते।

पायलट ने कहा कि निवेश सम्मेलन में किए गए निर्णय और खर्चे पारदर्शी ढंग से नहीं किए गए जिसकी पहली जरूरत थी। मेरा मानना है कि सरकार की प्रशासनिक अमले पर भी पकड़ कमजोर हुई है। मंत्रिमंडल की बैठकों में किए जाने वाले निर्णय पारदर्शी नहीं होते हैं। मौजूदा सरकार का काम पिछली सरकार का कोसना भर रह गया है। सत्ता संभाले दो साल हो गए हैं, अब तो तत्कालीन कांगे्रस सरकार को कोसना बंद करो।

उन्होंने कहा कि सरकार का काम पिछली सरकार की योजनाओं को बंद करना या योजनाओं के नाम बदलना तक सीमित रह गया है। अच्छा होता सरकार पिछली सरकार की चल रही योजनाओं को ही जारी रखती तो कम से कम प्रदेशवासियों को फायदा तो मिलता। सरकार शिक्षा पाठ्यक्रम के माध्यम से अपनी विचारधारा को थोपने और लोगों की आवाज दबाने का काम कर रही है। सरकार का ध्यान प्रदेशवासियों को मदद पहुंचाने की ओर नहीं है। लोकतंत्र में यह उचित नहीं है। पायलट ने कहा कि किशनगढ़ में हवाईअड्डे का काम रोक दिया गया। मनरेगा, मुफ्त दवा वितरण, सड़क निर्माण के कार्यों को रोक दिया गया है।

उन्होंने प्रदेश की बिगड़ी कानून-व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया बेबस हैं। गृहमंत्री तो एक थानेदार का भी तबादला नहीं कर सकते। बड़े अपराधी फिल्मी स्टाइल में फरार हो गए हैं, जिनको पुलिस आज तक पकड़ नहीं पाई है। राज्य में संगीन अपराध अत्यधिक बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं। बलात्कार के मामले में राजस्थान राज्यों के मामले में दूसरे स्थान पर है जबकि राज्य की मुख्यमंत्री महिला हैं। प्रदेशवासियों में असुरक्षा की भावना है, इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं।

पायलेट ने कहा कि दो साल के शासनकाल में सरकार के पास उपलब्धि के नाम पर कुछ नहीं है। यह बेबस सरकार है। संकल्प यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे ने जनता से लंबे चौडेÞ वायदे किए लेकिन ये सिर्फ वायदे ही बने हुए हैं। कांगे्रस प्रतिपक्ष पार्टी की भूमिका निभाएगी और सरकार के गलत निर्णयों को सामने लाने और प्रदेशवासियों की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की जिम्मेदारी निभाती रहेगी।