पीएम नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के मामले में फंसे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपील की है कि उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामले खारिज किए जाए। हाईकोर्ट ने तीनों मामलों के शिकायतकर्ताओं के साथ यूपी सरकार से जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई छह मई को की जाएगी। कोर्ट ने पवन खेड़ा की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रोटक्शन दे रखी है तो हमें इसके लिए पवन खेड़ा को अंतरिम राहत देने की जरूरत महसूस नहीं होती। जवाब मिलने के बाद हम केसों के बारे में फैसला करेंगे।
पवन खेड़ा के खिलाफ एक शिकायत यूपी के बीजेपी विधायक मुकेश शर्मा ने दर्ज कराई थी। दूसरी शिकायत बीजेपी के काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने दर्ज कराई थी। जबकि उन पर तीसरा केस असम में दर्ज हुआ था। उस मामले में शिकायतकर्ता हेन सैमुअल हैं। वो भी बीजेपी के नेता हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीनों ही शिकायतकर्ताओं से अलग-अलग जवाब दाखिल करने को कहा है।
प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी पर किया था तीखा हमला
कुछ अरसा पहले कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी पर तीखा हमला किया था। अडानी-हिडनबर्ग मामले में उनका कहना था कि अगर नरसिम्हा राव पीएम रहते जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) जांच करा सकते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी करा सकते हैं तो नरेंद्र गौतम दास सॉरी, नरेंद्र दामोदरदास को क्या दिक्कत है। बाद में वो अपने एक साथी से पीएम मोदी के नाम को लेकर चर्चा करते दिखे।
बीजेपी का आरोप है कि खेड़ा ने जानबूझकर पीएम मोदी का नाम गलत तरीके से लिया। खेड़ा के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 500, 504, 505(2) के तहत केस दर्ज किया गया था। केस दर्ज होने के बाद खेड़ा को 23 फरवरी को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से तब गिरफ्तार कर लिया गया जब छत्तीसगढ़ जाने के लिए रायपुर की फ्लाइट में सवार हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को दी थी अंतरिम राहत
पवन खेड़ा ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो शीर्ष अदालत ने उनको अंतरिम राहत देते हुए आदेश दिया कि तीनों मामले इकट्ठे करके लखनऊ भेज दिए जाए। खेड़ा के वकील जेएन माथुर ने हाईकोर्ट से कहा कि असम में दर्ज मामले में जांच अधिकारी ने कई सारी धाराएं हटा दी हैं। वो चाहते हैं कि अदालत उनके मुवक्किल के खिलाफ दर्ज तीनों केस खारिज करे।