कोयला घोटाले में फंसे पूर्व सांसद विजय दर्डा के मामले में सीबीआई आगे जांच करने के मूड़ में नहीं थी। 15 अप्रैल 2014 को उसने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करके मामले को बंद करने की सिफारिश की थी। लेकिन नवंबर 2014 में अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि मिनिस्ट्री ऑफ कोल के अफसरों ने निजी कंपनी के लोगों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया है। आप फिर से जांच करके हमें रिपोर्ट करें।

दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाले से जुड़े मामले में राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और कारोबारी मनोज कुमार जयसवाल को बुधवार को चार साल की सजा सुनाई। अदालत के आदेश के बाद तीनों दोषियों को हिरासत में ले लिया गया। अदालत ने विजय दर्डा, उनके बेटे और जायसवाल पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। पूर्व आईएएस अफसरों को 10-10 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश स्पेशल कोर्ट ने दिया।

स्पेशल जज संजय बंसल ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और दो पूर्व IAS केएस क्रोफा और केसी समरिया को भी तीन साल की सजा सुनाई। हालांकि, इन तीनों दोषियों को अदालत ने निजी मुचलके पर जमानत दे दी। ताकि वो अपनी सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दे सके।

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सामने आया था स्कैम

अदालत ने मामले में दोषी ठहराई गई कंपनी जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लि. पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोयला घोटाले में ये 13वीं सजा है। अदालत ने 13 जुलाई को सात आरोपियों को आइपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश रचना), 420 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। कोयला घोटाला मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सामने आया एक बड़ा घोटाला था।

हालांकि सीबीआई ने मामले की जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दी थी। एजेंसी का कहना था कि उसके सामने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं आया जिससे कमीशन खोरी का आरोप साबित होता हो। लेकिन अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए फिर से जांच का आदेश दिया थाय़। उसेक बाद सीबीआई ने नए सिरे से जांच करके मामले में चार्जशीट पेश की थी। उसके आधार पर ही ये सजा सुनाई गई।

2006 में कोल ब्लाक को लेकर विज्ञापन जारी किया गया था। आरोप है कि जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्रा. लि. ने अपने आवेदन में बहुत सारी चीजें छिपा ली थीं। कंपनी ने गलत तरीके से कोल ब्लाक का टेंडर हासिल किया। आईएएस अफसरों से सांठगांठ करके कंपनी ने हेराफेरी की थी। गुप्ता उस दौरान कोयला सचिव होने के साथ स्क्रीनिंग कमेटी केस चेयरमैन भी थे। जबकि कोरपा मिनिस्ट्री ऑफ कोल में जॉइंट सेक्रेट्री थे। समारिया भी इसी महकमे में तैनात था।