अनियमित मौसम का स्वरूप, आपूर्ति-मांग असंतुलन, परिवहन चुनौतियां और कीट संक्रमण सहित कारकों के संयोजन ने इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को जन्म दिया है। 2022 में भारत की कुल सब्जी उत्पादन मात्रा 9.96 करोड़ मीट्रिक टन थी। यह आंकड़ा 2023 में 10.59 करोड़ मीट्रिक टन को पार कर सकता है। 2028 में 13.54 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है।

दरअसल, भारत अपनी विविध जलवायु और स्थलाकृति के कारण पूरे साल हर मौसम में उत्पादन सुनिश्चित करने के कारण सब्जी उत्पादन के मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। लेकिन खराब परिवहन, वितरण और अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के कारण यह कम पड़ जाता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिशेष उत्पादन अभिशाप न बने, बल्कि इसे समय पर सुधार करने के अवसर में बदला जाए।

वर्तमान विसंगतियों के लिए एक मजबूत वितरण प्रणाली की आवश्यकता है, जिसमें भारत के भीतरी इलाकों के हर कोने में शीत गृह की सुविधाओं की शृंखला के साथ-साथ परिवहन के विभिन्न तरीकों को शामिल किया जाए। विभिन्न क्षेत्रों में मांग और उपभोग के तरीकों के अलावा किस क्षेत्र में लोग क्या उपभोग करते हैं, इस पर सटीक डेटा और मांग के बेमेल को सुनिश्चित करने के संदर्भ में सार्थक परिणाम दे सकता है, जिससे कमी और मूल्य वृद्धि से बचा जा सकता है।

इसे कृषकों, वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों की विशेषज्ञता, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के अकादमिक ज्ञान का समर्थन प्राप्त होना चाहिए। टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, कुशल आपूर्ति शृंखला विकसित करना और शीत गृह सुविधाओं में निवेश करना भी आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को पाटने में मदद कर सकता है। सब्जियों की सामर्थ्य और पहुंच को सुरक्षित रखना महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक अनुचित वित्तीय तनाव के बिना पौष्टिक आहार का आनंद ले सके।
विजय सिंह अधिकारी, नैनीताल।

युवा की दिशा

जीवन के लगातार बदलते परिवेश में हम आधुनिकता की चादर ओढ़े हर पल कुछ अलग करने का विचार लेकर सतत बढ़ रहे हैं। नित नए आयाम को पाने की ललक और कर्तव्यनिष्ठा का भाव ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। ज्ञान के साथ विज्ञान में हो रहे अभूतपूर्व विकास और नई-नई खोज जीवन को सरल और सहज भी बना रही है।

कम समय में ज्यादा करने की लालसा अंतर्मन में समेटे हुए हम विकास के नित नए आयाम रच कर पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं। लेकिन विकास के इस नए पहलू में हम उत्कृष्ट कार्यों के साथ-साथ कुछ ऐसे कार्य भी कर रहे हैं, जिससे समाज, देश और व्यक्तिगत जीवन में भी शर्मसार होना पड़ रहा है।

जीवन के किसी भी पल में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिससे जीवन या तो निखर जाता है या बिखर जाता है। सभ्य समाज का निर्माण सभ्य मनुष्यों से ही निर्मित होता है। अच्छे संस्कारों के साथ-साथ अपने सत्कारों पर भी विचार करना चाहिए। देश विदेश के बड़े-बड़े मंचों पर हम और हमारी सरकार के प्रतिनिधि भी यही कहते हैं कि भारत इतना ऊर्जावान और तकनीकी के साथ द्रुत गति से इसलिए आगे बढ़ रहा है क्योंकि यहां युवा शक्ति है।

लेकिन यही युवाशक्ति कई बार अपने अशोभनीय कृत्यों और प्रदर्शनों से ऐसी असहज स्थिति उत्पन्न कर देते हैं कि हमें शर्मसार होना पड़ता है। सड़क पर चलते वाहनों पर अस्वीकार्य हरकतें और जान जोखिम में डालकर कलाबाजी और मेट्रो ट्रेनों में लगातार किए जा रहे अशोभनीय प्रदर्शनों से किसका भला ने सिर शर्म से झुका दिया है। सार्वजनिक परिवहन में आपत्तिजनक कार्य स्वीकार नहीं हो सकते। इन कृत्यों में वे सब भी भागीदार हैं जो आसपास मौजूद मूकदर्शक बने रहते हैं और ऐसे कार्यों को करने से रोकने, टोकने की तो बात दूर, बल्कि वीडियो बना कर एक तरह से उसका प्रचार करते हैं।
प्रीति अरुण त्रिपाठी, प्रयागराज, यूपी।

मनुष्यता की खातिर

‘संभावना का आकाश’ (संपादकीय, 15 जुलाई) पढ़ा। चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरे देश में खुशी की लहर व्याप्त है। अमेरिका, चीन, रूस और उसके बाद विश्व में भारत चौथा ऐसा देश होगा जो चंद्र अभियान में आगे बढ़ रहा है। चार लाख किलोमीटर की इस यात्रा में तीव्र गति के बावजूद एक माह से अधिक का समय लगेगा। लेकिन हम देशवासियों को प्रतिदिन इसकी प्रगति की सूचनाएं मिलती रहेंगी।

कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने के बाद अब अंतरिक्ष को फतह करना भी अधिक आसान हो जाएगा। भारत का यह यान चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर गया तो चंद्रमा के एक नए क्षेत्र की तस्वीर दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा। जिस क्षेत्र तक अभी तक किसी भी देश का यान नहीं उतरा है।

भविष्य में अन्य ग्रहों पर जाने के लिए चंद्रमा ही एक जंक्शन का काम करेगा। इसके लिए वहां वैज्ञानिकों के रहने लायक वातावरण और भवन तैयार करने होंगे। इन सबके लिए प्राथमिक जानकारियां विभिन्न चंद्र अभियानों के जरिए एकत्रित की जा रही हैं। आगे 2025 में अन्य देशों के सहयोग से एक संयुक्त यान फिर चंद्रमा की ओर जाएगा, जिसके सफल हो जाने पर कई नई बातें दुनिया के सामने आएंगी। बस यही कामना है कि सभी विकसित देश अंतरिक्ष का दुरुपयोग मानवता के विनाश के लिए नहीं करेंगे!
विभूति बुपक्या, खाचरोद, मप्र।

जांच जरूरी

पश्चिम बंगाल में आमतौर पर हमेशा चुनाव के दौरान वर्षों से हिंसा का सहारा लिया जाता है। हाल में हुए पंचायत चुनाव में मतदान के दौरान हिंसक घटनाओं में पंद्रह से अधिक व्यक्ति की हिंसक घटनाओं में मृत्यु सामान्य घटना नहीं है। आश्चर्य होता है कि हिंसक वारदात को दबाने का प्रयास तक नहीं किया गया, उलटे सुरक्षा बल भी चुनाव के दौरान असुरक्षित रहे। चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई, लेकिन खूनखराबे से हासिल जीत से न्याय और विकास की उम्मीद कम हो जाती है। शासन की अनदेखी और हुई मौतों की जांच जरूरी है।
बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, उज्जैन।