सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियों के बाद से एक नए सिस्टम के तहत काम हो रहा है। पहले PIL सभी 15 बेंच देखती थीं। लेकिन सीजेआई ने नए सिस्टम में PIL को अपनी बेंच के पास लगाने के आदेश रजिस्ट्री को दिया था। सीजेआई आज सुप्रीम कोर्ट में बैठे तो बेसिरपैर की PIL देख वो आपा खो बैठे।

पहली जनहित याचिका एक लॉ स्टूडेंट की तरफ से थी। उसकी मांग थी कि संवैधानिक प्रावधानों में पुरुष प्रधान शब्दों को खत्म किया जाए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका देख याचिकाकर्ता के बारे में जानकारी हासिल की। जब उनको पता चला कि रिट लगाने वाला लॉ का स्टूडेंट है तो वो हल्का सा गुस्से में भी आए। उन्होंने रिट लगाने वाले से कहा कि बेहतर रहेगा कि ऐसी बेसिरपैर की याचिका लगाने के बजाए वो अपनी पढ़ाई में ध्यान दे। उनका कहना था कि ऐसी रिट दाखिल करने पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। लेकिन याचिकर्ता लॉ का स्टूडेंट है तो वो छोड़ रहे हैं।

दूसरी PIL देख गुस्से से भड़क गए सीजेआई

उसके बाद सीजेआई ने दूसरी जनहित याचिका पर गौर किया। इसमें मांग की गई थी कि कास्ट सिस्टम को नई शक्ल देने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक पॉलिसी बनाए। सीजेआई का पारा रिट को देखकर चढ़ गया। उन्होंने याचिका डालने वाले पर 25 हजार का जुर्माना लगाकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में पैसे जमा कराकर रसीद सुप्रीम कोर्ट में पेश करे। उनका कहना था कि बेसिरपैर की याचिका पर रोक लगाने के लिए ये जरूरी है।

चंद्रचूड़ बोले- ऐसी याचिकाओं को रोकने के लिए जुर्माना जरूरी

इसके बाद जो जनहित याचिका लगी थी उसमें Hindu Succession Act,1956 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। सीजेआई ने गुस्से में आते हुए याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन उसके बाद जो याचिका आई उससे वो गुस्से में बिफर गए। इस याचिका में कहा गया था कि आरक्षण को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक्शन ले। रिट को देखकर सीजेआई भड़क गए और याचिकाकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना ठोक दिया। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का समय बेशकीमती है। ऐसी बेवजह की याचिकाओं को रोकने के लिए उनका ये कदम बेहद जरूरी है।