आंध्रप्रदेश के अनंतपुरमू जिले के पुट्टपर्थी नगर में श्री सत्य साई उच्च शिक्षा संस्थान के 40वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमण ने महाभारत और रामायण का हवाला देते हुए कहा कि शासकों के 14 बुरे गुण हैं जिनसे उन्हें बचना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली से चरित्र निर्माण संभव नहीं है। यह सिर्फ शिक्षा के उपयोगितावादी पहलुओं पर ज्यादा जोर देता है।  

आंध्रप्रदेश में छात्रों को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी शासकों को अपना नियमित कार्य शुरू करने से पहले आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या उनमें कोई बुरे गुण हैं। हमें न्यायसंगत प्रशासन देने की आवश्यकता है और यह लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार होना चाहिए। यहां कई विद्वान हैं और आप दुनियाभर में एवं देशभर में हो रहे घटनाक्रम को देख रहे हैं।

इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है और सरकार द्वारा जो भी फैसला लिया जाए उसका फायदा जनता को मिलना चाहिए। न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि यह उनकी इच्छा है कि देश की सभी व्यवस्थाएं स्वतंत्र और ईमानदार हों जिनका लक्ष्य लोगों की सेवा करना हो तथा सत्य साईं बाबा भी यही बात कहते थे।

इसके अलावा उन्होंने मौजूदा शिक्षा प्रणाली का जिक्र करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आधुनिक शिक्षा प्रणाली केवल उपयोगितावादी पहलुओं पर ध्यान देता है और ऐसी प्रणाली छात्रों का चरित्र का निर्माण नहीं कर सकती है और न ही इसमें सामाजिक चेतना तथा जिम्मेदारी की भावना विकसित करने की क्षमता है।

चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सच्ची शिक्षा वह है जो नैतिक मूल्यों, विनम्रता, अनुशासन, निस्वार्थ भाव, करुणा, सहिष्णुता, क्षमा और आपसी सम्मान जैसे गुणों को आत्मसात करे। शिक्षा का मुख्य मकसद आपके चरित्र को ऊंचा बनाना और आपकी सोच को व्यापक बनाना होना चाहिए। शिक्षा ही जीवन की जटिलताओं का सामना करने के दौरान आपको सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिक्षा का अक्सर मतलब अकादमिक शिक्षा ही समझा जाता है। लेकिन वास्तव में शिक्षित होने का अर्थ इससे कहीं अधिक है। छात्रों के जीवन में सच्ची शिक्षा का परिणाम अधिक सकारात्मक परिवर्तन और उन्नति के रूप में होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने सत्य साईं बाबा को भी याद किया और कहा कि मुझे बाबा के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था। मैंने हमेशा उनके ज्ञान को अपने साथ रखा है। (भाषा इनपुट्स के साथ)