जस्टिस एनवी रमन्ना होंगे देश के 48वें CJI, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, अयोध्या मामले में भी कर चुके हैं सुनवाई
जस्टिस एनवी रमन्ना देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे। 24 अप्रैल को वह शपथ ग्रहण करेंगे। 23 अप्रैल को मौजूदा सीजेआई एसए बोबडे रिटायर हो रहे हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस एनवी रमन्ना को अगला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) नियुक्त किया है। 24 अप्रैल से उनका कार्यकाल शुरू होगा। वह मौजूदा CJI एसए बोबडे के उत्तराधिकारी होंगे। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने ही जस्टिस रमन्ना को सीजेआई बनाने की सिफारिश की थी। वह देश के 48वें सीजेआई होंगे।
जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। अब उनका दो साल का ही कार्यकाल बचा है। वह 26 अगस्त 2022 को रिटायर होंगे। आध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में जन्मे जस्टिस रमन्ना एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। साल 2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज नियुक्त हुए हैं।
जस्टिस रमन्ना अयोध्या केस में सुनवाई करने वाली संवैधानिक पीठ का भी हिस्सा रह चुके हैं। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई इस पीठ की अगुआई कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट चालू करने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने माना था कि यह एक मौलिक अधिकार है। इस पीठ में जस्टिस एनवी रमन्ना भी शामिल थे।
सीजेआई के ऑफिस के भी आरटीआई के तहत लाने का फैसला सुनाने वाली पांच जजों की बेंच में भी जस्टिस रमन्ना शामिल थे। जस्टिस रमन्ना की अगुआई वाली बेंच ने ही फैसला सुनाया था कि किसी कंपनी पर जुर्माने की रकम उसके टर्नओवर के अनुसार होगी। इस तरह जस्टिस रमन्ना की अगुआई में भी सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फैसले सुनाए गए हैं।
घरेलू महिलाओं पर अहम टिप्पणी
जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुआई वाली बेंच ने हाल ही में महिलाओं पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो गृहणियां घर का काम करती हैं वे भी आर्थिक योगदान देती हैं। उन्होंने कहा था कि इस तरह कि मानसिकता बदलनी चाहिए कि अगर महिला दफ्तर में काम नहीं करती तो उसका कोई आर्थिक योगदान नहीं है।
जस्टिस रंजन गोगोई जब सीजेआई थे तो उनपर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी लेकिन जस्टिस रमन्ना ने उसमें रहने से इनकार कर दिया था। महिला ने यह भी कहा था कि दोनों लोग आपस में अच्छे दोस्त हैं। हालांकि बाद में जस्टिस गोगोई पर लगे आरोप गलत पाए गए।