आईपीसी के सेक्शन 124A को जड़ से खत्म करने के लिए सीजेआई चंद्रचूड़ पूरा मन बनाकर सुप्रीम कोर्ट में तैयार बैठे थे। उन्होंने अपने स्टाफ को कहा कि केदारनाथ (देशद्रोह कानून पर 5 जजों की बेंच के फैसले से जुड़ा केस) को तैयार रखो। इसे हम आगे भेजेंगे। सॉलीसिटर जनरल आने वाले हैं। देखते हैं कि वो सरकार की तरफ से क्या निर्देश लेकर आ रहे हैं। उसके बाद सॉलीसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट में आए और बोले कि देशद्रोह के कानून पर सरकार फिर से विचार कर रही है। आप थो़ी मोहलत दे दीजिए। सीजेआई ने अपना मन बदला और फिर अगस्त की तारीख दे दी।
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून को किया था स्थगित
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में 11 मई 2022 को आईपीसी के सेक्शन 124A को स्थगित कर दिया था। ये देशद्रोह के मामलों में लागू होता है। अदालत ने सरकार से कहा था कि वो इस कानून के तहत कोई केस दर्ज न करे और न ही पहले से दर्ज केसों में जांच आगे बढ़ाए। आरोपियों के खिलाफ भी कोई सख्त कदम न उठाया जाए। उसके बाद से जो आरोपी इस तरह के केसों में जेल में बंद थे, वो जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गए। फिलहाल इस कानून को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। सीजेआई और जस्टिस जेबी पारदीवाला इनको सुन रहे हैं।
एडवोकेट बोले- 1962 के फैसले पर संवैधानिक बेंच करे विचार
सीजेआई की बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट अरविंद्र दतार ने एक दुश्वारी का जिक्र करते हुए कहा कि देशद्रोह के कानून के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा केरादरनाथ मामले में सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला है जो 5 जजों की बेंच ने दिया था। 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के केस में 5 जजों की बेंच ने देशद्रोह के कानून को ठीक माना था। एडवोकेट का कहना था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच कोई फैसला नहीं दे देती, तब तक 1962 के फैसले को खारिज नहीं किया जा सकता। उनकी दलील थी कि संवैधानिक बेंच मामले की सुनवाई करे।
सीजेआई केदारनाथ केस को आगे भेजने का मन बनाए बैठे थे, एसजी ने की अपील तो दे दी तारीख
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ठीक है केदारनाथ को तैयार रखो। सॉलीसिटर जनरल कोर्ट में आने वाले हैं। उनको सुन लेते हैं कि वो सरकार की तरफ से क्या जवाब लेकर आ रहे हैं। उसके बाद एसजी आर वेंटकरमानी सुप्रीम कोर्ट में आए और बोले कि आईपीसी के सेक्शन 124A को लेकर सरकार संजीदगी से विचार कर रही है। उनका कहना था कि इस मामले को संसद में ले जाने से पहले सरकार उनसे बात जरूर करेगी। तब तक इस मामले पर आप सुनवाई न करें। सीजेआई ने कहा कि केंद्र के सबसे बड़े वकील की बात पर वो भरोसा करते हैं। फिर सुनवाई अगस्त तक टाल दी।