सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के ऑर्डर को चैलेंज किया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और जस्टिस जे बी पर्दीवाला की बेंच ने पूछा कि वह पहले से निर्धारित चुनाव को बीच में कैसे रोक सकते हैं। बेंच ने कहा, “चुनाव में बाधा डालना एक गंभीर मामला है और हम ऐसा नहीं कर सकते। हम दखल नहीं देंगे। सॉरी, डिसमिस्ड”
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के विधायक शुभेंद्र अधिकारी (Suvendu Adhikari) विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं। सुप्रीम कोर्ट में शुभेंदु अधिकारी की तरफ से सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया पेश हुए। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 28 मार्च को पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। हालांकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह माना था कि चुनाव के लिए इस्तेमाल किए गए सीट आरक्षण मानदंड पर याचिकाकर्ता अधिकारी के विवाद में दम है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने माना था कि शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका के संबंध में इस स्टेज पर किसी भी हस्तक्षेप से राज्य में पंचायत चुनाव स्थगित हो सकते हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य में पंचायत सीटों के आरक्षण को लेकर बीजेपी नेता द्वारा उठाई गई आपत्ति पर कोई भी फैसला लेने का काम राज्य के चुनाव आयोग के ऊपर छोड़ दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तुषार गांधी की अवमानना याचिका से जुड़ा मामला बंद किया
सुप्रीम कोर्ट ने नफरत फैलाने वाला भाषण देने के 2021 के मामले में कथित निष्क्रियता को लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर तुषार गांधी की अवमानना याचिका का गुरुवार को निस्तारण कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका से जुड़े मामले को इन प्रतिवेदनों को संज्ञान में लेने के बाद बंद कर दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में 2021 में धार्मिक सभाओं में दिए गए “नफरती भाषणों” संबंधी मामले में एक आरोप पत्र यहां एक अदालत में दायर किया गया है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज की इन दलीलों पर गौर किया कि जांच पूरी होने के बाद चार अप्रैल को यहां मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था।
नफरती भाषण का मामला दिसंबर 2021 में ‘सुदर्शन न्यूज’ के संपादक सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम से जुड़ा है। गांधी ने अवमानना याचिका में कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों से जुड़े मामलों में उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था। पीठ ने पिछले साल 11 नवंबर को उत्तराखंड सरकार और उसके पुलिस प्रमुख को अवमानना याचिका के पक्षकारों की सूची से मुक्त कर दिया था। (इनपुट- PTI/भाषा)