गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रेड को सीजेआई एसए बॉब्दे ने farmers visit बताया तो केंद्र ने तत्काल इस पर कड़ा एतराज जता दिया। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि इन किसानों ने 300 से ज्यादा पुलिस कर्मियों को जख्मी किया है। इस पर सीजेआई ने अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, वह गैर विवादित टर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच बृहस्पतिवार को उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इन कानूनों की वजह से ही पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सीजेआई ने किसानों से अपील की कि वे प्रदर्शन के दौरान शांति व्यवस्था को बहाल रखें।

बॉब्दे ने टीवी चैनलों के प्रोग्राम पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि ये लोगों को उकसा रहे हैं। उनकी टिप्पणी थी कि केंद्र इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रहा है। उनका कहना था कि केंद्र ऐसे आपत्तिजनक टीवी प्रोग्रामों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

सीजेआई ने कहा, कुछ मीडिया हाउस जिस तरह से मामले में फर्जी खबरें पेश कर रहे हैं, वह सरासर आपत्तिजनक है। इस तरह की खबरों ने ही स्थित को जटिल बनाया। उसके बाद ही किसानों ने अपने ट्रैक्टर को लाठी से लैस पुलिस कर्मियों के खिलाफ अपना हथियार बना लिया। उनका इशारा उस खबर की तरफ था, जिसमें कहा गया था कि एक किसान की पुलिस की गोली से मौत हो गई। जबकि किसान की मौत बेरिकेडिंग तोड़ने के दौरान ट्रैक्टर पलटने से हुई थी।

उनका कहना था कि तथ्यपरक खबरों को पेश करने में कोई दिक्कत नहीं है। परेशानी तब होती है जब खबर को प्रोजेक्ट किया जाता है। उनका कहना था कि पत्रकार के हाथ में पेन उसी तरह से है जैसे पुलिस वाले के हाथ में लाठी। कानून व्यवस्था बहाल करने में वो इसका इस्तेमाल किस तरह से करते हैं, यह अहम है।

गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली थी। इस दौरान किसान उग्र हो गए। उन्होंने पुलिस बेरीकेडिंग तोड़ दीं और पुलिस से मारपीट की। उपद्रवियों ने लाल किले पर अपने धर्म का ध्वज फहरा दिया। पुलिस ने कई किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए हैं। हालांकि अभी तक उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है, जिसने लाल किले पर अपना ध्वज फहराया था।