CJI BR Gavai: सीजेआई बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि न्यायाधिकरणों के कुछ गैर-न्यायिक सदस्य, जोकि आमतौर पर पूर्व नौकरशाह होते हैं, सरकार के खिलाफ कोई भी आदेश पारित करने से बचते हैं। उन्होंने इन सदस्यों से इस विषय पर विचार करने का अनुरोध किया।

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के 2025 के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन में सीजेआई ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की मौजूदगी में ट्रिब्यूनलों (न्यायाधिकरणों) और न्याय प्रणाली से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल न्यायालयों से भिन्न होते हैं, क्योंकि वे कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक विशेष स्थान रखते हैं तथा उनके कई सदस्य प्रशासनिक सेवाओं से आते हैं, जबकि अन्य न्यायपालिका से आते हैं। यह विविधता एक ताकत है, क्योंकि यह न्यायिक कौशल और प्रशासनिक अनुभव को एक साथ लाती है, लेकिन यह जरूरी है कि सदस्यों को लगातार ट्रेनिंग दी जाए और पात्रता तथा आचरण के समान मानकों का पालन कराया जाए।

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गवई ने कहा कि न्यायिक सदस्यों को लोक प्रशासन की बारीकियों से परिचित होना चाहिए, जबकि प्रशासनिक सदस्यों को कानूनी तर्क वितर्क का प्रशिक्षण आवश्यक है। मेरी बात को अन्यथा न लें, क्योंकि आजकल आपको पता ही नहीं होता कि आप क्या कह रहे हैं और इंटरनेट मीडिया पर क्या आ रहा है।

उन्होंने स्पष्ट पात्रता मानदंडों के साथ एक समान नियुक्ति प्रक्रिया की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिससे मनमानी के प्रश्न समाप्त होंगे और नागरिकों का न्यायाधिकरण में विश्वास मजबूत होगा। सीजेआई ने ट्रिब्यूनलों के निर्णयों के खिलाफ अपीलों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की। कहा कि ऐसा इसलिए होता क्योंकि नौकरशाह कोई भी जोखिम लेने से डरते हैं और दोष अदालतों पर डालना चाहते हैं।

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