CJI BR Gavai on Constitution: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने संविधान की व्याख्या से लेकर कॉलेजियम से जजों की नियुक्तियों और अदालतों की स्वतंत्रता को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट की अदालतों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने भविष्य के लिहाज से संविधान की व्याख्या को लेकर बड़ी बात कही कि ये व्यावहारिक होनी चाहिए।

मुंबई में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सीजेआई बीआर गवई के सम्मान समारोह रखा गया था। इस दौरान सीजेआई गवई ने कहा कि जजों को ऐसा किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए जिससे न्यायपालिका जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचे।

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सीजेआई बोले- संविधान की व्याख्या व्यवहारिक हो

सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीशों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने विवेक, पद की शपथ और कानून के मुताबिक काम करें। उन्हें केस का फैसला होने पर विचलित नहीं होना चाहिए। जज अपनी शपथ-प्रतिबद्धता के लिए सच्चे रहें। चीफ जस्टिस ने कहा कि कानून या संविधान की व्याख्या व्यावहारिक होनी चाहिए। ये समाज की जरूरत और वर्तमान पीढ़ी की परेशानियों के मुताबिक हो।

10 से 5 बजे की नौकरी नहीं है…’, सीजेआई गवई ने जजों को लेकर कही बड़ी बात

न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर कही बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अदालतों में जजों की नियुक्ति पर कहा है कि किसी भी कीमत पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट में नियुक्तियों के दौरान कॉलेजियम तय करता है कि विविधता,समावेशिता के साथ-साथ योग्यता भी बनी रहे।

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वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट को लेकर सीजेआई गवई ने अपने पुराने दिनों को याद किया और कहा कि मैंने यहां एक वकील और फिर जज के तौर पर काम सेवाएं दीं। जब लोग मेरे फैसलों की सराहना करते हैं तो गर्व महसूस होता है।

जजों को याद दिलाई शपथ

सीजेआई गवई ने समाज की सेवा के लिए न्यायाधीशों से अच्छे बर्ताव का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जज बनना कोई 10 से 5 बजे की नौकरी नहीं है, यह समाज और देश की सेवा करने का अवसर है। उन्होंने न्यायाधीशों से अपनी शपथ और प्रतिबद्धता के प्रति सच्चे रहने का आग्रह किया, जिससे संस्थान की प्रतिष्ठा बढ़े।

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