कल सोमवार को कृषि बिल से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई के दौरान किसानों की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने भरोसा दिलाया था कि 26 जनवरी को राजपथ पर कोई ट्रैक्टर परेड नहीं निकलेगा। लेकिन मंगलवार की सुनवाई के दौरान दुष्यंत दवे सुप्रीम कोर्ट में मौजूद नहीं रहे। जिसपर चीफ जस्टिस ने जानना चाहा कि किसानों की तरफ से मौजूद रहे वकील आज कोर्ट क्यों नहीं पहुंचे हैं।

दरअसल सोमवार को सुनवाई के दौरान अटोर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने रविवार को करनाल में सीएम खट्टर की किसान महापंचायत के दौरान हुए हंगामे का हवाला दिया और कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालकर गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में बाधा पहुँचाना चाहते हैं। जिसपर किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि ऐसा कोई भी परेड 26 जनवरी को राजपथ पर नहीं निकलेगा। लेकिन दुष्यंत दवे आगे की सुनवाई के लिए आज मंगलवार को कोर्ट ही नहीं आए। इतना ही नहीं दवे के अलावा किसानों के तीन अन्य वकील प्रशांत भूषण , एच एस फुल्का , कोलिन गोंजाल्विस भी आज की सुनवाई में मौजूद नहीं हैं।

उच्चतम न्यायालय ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ और दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर आज दुबारा से सुनवाई शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन पर कहा है कि हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई भी ताकत हमें नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कानून का अमल फिलहाल के लिए स्थगित करेंगे लेकिन यह रद्द नहीं होगा। साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है।
हालाँकि कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे।