Citizenship Amendment Bill/Act (CAB/CAA) Protests: नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) और एनआरसी पर देशभर में लोग सड़कों पर हैं। विपक्षा का आरोप है कि सीएए के जरिए संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन होता है। वहीं सत्ता पक्ष का कहना है यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, इसाई और जैन जो कि प्रताड़ना सह रहे हैं उन्हें संरक्षण देगा। बहरहाल नागरिकों के बीच इस बात की भी चर्चा है कि इसके जरिए उनकी नागरिकता को खतरा है। यह भ्रम विशेषकर मुस्लिम समुदाय के बीच है।
बहरहाल सीएए और एनआरसी पर चल रही तमाम अफवाहों को दूर करने के लिए एक फैक्ट शीट जारी की गई है, जिसमें नागरिकों के बीच तमाम सवालों और भ्रमों को दूर करने की कोशिश की गई है। इसके जरिए समझाया गया है कि क्या सही है और किस बात का भ्रम फैलाया जा रहा है। सरकारी सूत्रों ने नागरिकता संशोधन कानून पर अकसर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर एक फैक्ट शीट जारी की है।
इस फैक्ट शीट में पहचान साबित करने, किन लोगों पर यह कानून प्रभाव नहीं डालेगा, पहचान साबित करने के लिए कौन से दस्तावेजों मांगे जाएंगे, क्या एनआरसी सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा जैसे कुल 13 सवालों के जवाब दिए गए हैं। इस फैक्ट शीट के अंत में अपील भी की गई जिसमें यह कहा गया है कि अपना स्वार्थ साधने वालों के बहकावे में न आकर खुद पढ़ें, समझें और फिर इस मामले में विवेक से अपनी राय बनाएं।
बता दें कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि इस कानून से देश के किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसको लेकर भ्रम फैला रहे हैं।
सरकारी सूत्रों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अकसर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर एक तथ्य पत्रक जारी किया है। #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/IoFFUP3ekJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 19, 2019
मालूम हो कि यह बिल संसद में पास हो चुका है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है।