लोक जनशक्ति पार्टी में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। विद्रोही गुट ने चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया है। पलटवार करते हुए चिराग पासवान ने पांचों सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया है। मंगलवार को पशुपति नाथ पारस गुट की तरफ से पार्टी संविधान का हवाला देते हुए चिराग को पद से हटाया गया। विद्रोही नेताओं का कहना है कि चिराग तीन-तीन पदों पर एक साथ काबिज थे जो कि पार्टी संविधान के खिलाफ था। सूरजभान सिंह को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
इधर चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पांचों सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया। पटना में चिराग के समर्थकों ने चाचा पशुपति कुमार पारस के खिलाफ जमकर नारेबाजी और हंगामा भी किया है। चिराग पासवान ने ट्वीट कर एक पत्र साझा किया है, उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं। एक पुराना पत्र साझा करता हूं।
Lok Janshakti Party chief Chirag Paswan shared an old letter where he urged his uncle & LJP MP Pashupati Kumar Paras to take responsibility to keep the party united like his late father Ram Vilas Paswan pic.twitter.com/MK76q1HS1m
— ANI (@ANI) June 15, 2021
यह पत्र चिराग पासवान ने होली के दिन चाचा पारस को लिखा था। जिसमें उन्होंने रामविलास पासवान के निधन के बाद उपजी दूरियों का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था कि आदरणीय चाचाजी, शायद हम धूमधाम से होली ना मना पाएं। जब तक पापा थे सभी साथ होली मनाते थे। चिराग पासवान की तरफ से यह चिट्ठी 29 मार्च को होली के दिन लिखी गयी थी।
बताते चलें कि पशुपति कुमार पारस को सोमवार को लोकसभा में चिराग पासवान के स्थान पर पार्टी के नेता के रूप में मान्यता दी गयी थी। लोजपा के छह में से पांच सांसदों ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा था जिसमें चिराग के स्थान पर पारस को पार्टी का नेता नियुक्त करने का अनुरोध किया गया था। लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को एक संशोधित अधिसूचना जारी की जिसमें पारस को लोजपा के नेता के रूप में मान्यता दी गई है।
चिराग पासवान के समर्थकों ने जनता दल (यूनाइटेड) को इस विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि पार्टी लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था।