China-India Face-off: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव की स्थिति बनी हुई है। दरअसल, कुछ ही दिन पहले चीन ने लद्दाख के गलावन नदी के पास भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण पर आपत्ति जताई थी और इस पर दोनों देशों की सेनाएं फिलहाल आमने-सामने हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि चीन के सैनिक लगातार उसकी सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं। हाल ही में जुटाया गया आधिकारिक डेटा भी इसकी पुष्टि करता है। इससे पता चलता है कि चीन की भारत की सीमा में घुसपैठ की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं।

इस साल के शुरुआती चार महीनों में ही चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 170 बार घुसपैठ की। इनमें सबसे ज्यादा 130 बार लद्दाख की तरफ से सीमा लांघी, जबकि 2019 में इसी दौरान चीन की तरफ से घुसपैठ के 110 ही मामले सामने आए थे।

हालांकि, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बिश्केक और महाबलीपुरम में मिलने के बाद चीन की ओर से लद्दाख की सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में 75 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी। जहां 2018 में चीनी सेना ने 284 बार अवैध तरीके से सीमा लांघी। वहीं, 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 497 हो गया। डेटा के मुताबिक, 2015 से अब तक घुसपैठ के करीब तीन-चौथाई मामले एलएसी के पश्चिमी सेक्टर में देखे गए, जो कि लद्दाख में ही आता है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की तरफ वाले पूर्वी सेक्टर में कुल घुसपैठ के सिर्फ 20 फीसदी मामले ही सामने आए।

डेटा के मुताबिक, चीन की तरफ से हवाई घुसपैठ की सबसे ज्यादा घटनाएं 2019 में ही देखी गईं। पिछले साल चीनी एयरक्राफ्ट्स ने 108 बार हवाई सीमा लांघी, जबकि 2018 में यह 78 और 2017 में 47 बार हुआ था। चीनी सेना की जमीनी घुसपैठ जहां पश्चिमी सेक्टर से हुई, वहीं हवाई घुसपैठ पूर्वी सेक्टर की तरफ हुई। 2019 में 108 ऐसी घटनाओं में 64, 2018 में 78 में से 42 सीमा पार करने की घटनाएं पूर्वी सेक्टर में हुईं।

कुल मिलाकर चीन की तरफ से 2019 में 663 घुसपैठ की घटनाएं हुईं, जो कि 2018 की 404 से काफी ज्यादा रहीं। इसमें 75 फीसदी घुसपैठ की घटनाए पश्चिमी सेक्टर और 55 फीसदी पूर्वी सेक्टर में बढ़ीं। अधिकारियों का मानना है कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ की ज्यादा घटनाएं इसलिए होती हैं, क्योंकि दोनों एलएसी को अपने हिसाब से देखते हैं। लेकिन हालिया समय में चीन की तरफ से ज्यादा घुसपैठ की घटनाएं दूसरी ओर इशारा करती हैं।

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