चीनी चटाइयों पर भारतीय आसन लगाने की कवायद को ज्यादातर राजनीतिक दल यों तो केवल मुस्कुरा कर देखना चाहते हैं। पर दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शारीरिक स्वास्थ्य के बहाने लोगों के दिल और दिमाग तक पहुंचने की इस कोशिश को सभी मन मसोस कर देख रहे हैं।

हालांकि कांग्रेस के एक प्रवक्ता को रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राजपथ पर चीनी चटाइयों के ऊपर भारतीय योगासन किया जाना इसलिए थोड़ा अटपटा लगता है क्योंकि वे मानते हैं कि भारतीय सभ्यता चीनी सभ्यता से आगे है। इसलिए चटाइयां तो भारतीय होनी चाहिए थीं। पर योग को भारतीय परंपरा कह कर वे इसका विरोध कतई नहीं करते। दूसरी ओर पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता ने इसे प्राचीन भारतीय विरासत को हथियाने का निर्लज्ज प्रयास करार दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वड़क्कन ने कहा कि योग भारतीय परंपरा है। हमारी सभ्यता चीनी सभ्यता से आगे है। ऐसे अवसर पर ध्यान देना चाहिए कि चटाइयां भारत में भी उपलब्ध हैं। इससे गलत संदेश जाता है। उन्होंने जानना चाहा कि एक तरफ आप (भाजपा) ‘मेक इन इंडिया’ कहते हैं और दूसरी तरफ ‘मेड इन चाइना’ चटाइयों का इस्तेमाल कर क्या संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने माना कि स्थानीय चटाइयों को बढ़ावा देना अच्छा होता। अगर भारत में चटाइयां नहीं बनतीं तो बात अलग थी।

दरअसल रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है, जिसका नरेंद्र मोदी सरकार ने काफी लंबे समय से प्रचार किया है। इस मौके पर रविवार को योगासन करने के लिए लगभग 35 हजार लोगों के राजपथ पर पहुंचने की संभावना है। देश भर में भी इस सिलसिले में आयोजन होने जा रहे हैं। दिल्ली में होने वाले समारोह के नेतृत्व की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभालेंगे। जबकि उनके मंत्रिमंडल के कई सहयोगी विभिन्न राज्यों में योग के बारे में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।

लेकिन थोड़ा-सा रंग में भंग इसलिए पड़ गया क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ का नारा देने वाले मोदी के सामने रविवार को जो नजारा होगा उसमें आसन पर बैठे लोगों के नीचे चटाइयां चीन की होंगी। इन चटाइयों के लिए ठेका पाने वाली आर्क कांसेप्ट को 37 हजार चटाइयां मुहैया करानी हैं। कंपनी ने कम समय दिए जाने के कारण जल्दबाजी में चीनी चटाइयां खरीदने की बात स्वीकार की है। हालांकि कुछ चटाइयां देसी होने की बात भी कही है। आयुष मंत्रालय के अधिकारी भी मान चुके हैं कि चटाइयां चीन में बनी हैं।

टॉम वड़क्कन से इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा- हम योग के खिलाफ नहीं हैं। योग हमारी परंपरा है। हमारे यहां घर-घर में योग होता है। आगाह करने की बात यह है कि हर व्यक्ति के शरीर की स्थिति अलग है। योग हो तो प्रशिक्षित लोगों के निर्देशन में हो। यह सावधानी जरूरी है। इसलिए हरेक को योग के लिए मजबूर करना ठीक नहीं है। मसलन, स्कूलों में या कहीं भी अगर कोई मरीज है तो जबरन योग करने से गड़बड़ हो सकती है। जैसे कि रक्तचाप के मरीज को शीर्षासन नहीं करना चाहिए। अन्यथा, भारतीय परंपरा आगे बढ़ रही है तो अच्छी बात है।

सूर्य नमस्कार को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में उन्होंने सीधे कुछ न कहते हुए, बताया कि योग में जो कुछ भी किसी के लिए सही है और जो लोग करना चाहते हैंउसका स्वागत करिए। संभवत: दूसरे धर्मों के लोगों के सूर्यनमस्कार से इनकार की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में हरेक का सम्मान किया जाता है और हरेक को अपनाने की परंपरा है। उसी परंपरा को ध्यान में रख कर काम करना चाहिए।

(राकेश तिवारी)