भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीने से तनाव जारी है। हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है, जब चीन ने भारत के साथ लगी करीब 3500 किमी सीमा पर आक्रामक रवैया अपनाया हो। सैन्य स्तर पर ही नहीं, चीन पर कई बार आरोप लग चुका है कि उसने हैकिंग के जरिए भारत की अहम खुफिया जानकारी चुराने की कोशिश की। इस बीच एक अमेरिकी संस्थान की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीनी हैकर्स 2007 से ही भारत के सैटेलाइट कम्युनिकेशन नेटवर्क पर हमला करने की कोशिश में जुटे हैं।
अमेरिकी स्थित चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट (CASI), जो कि चीन की अंतरिक्ष की गतिविधियों की जानकारी रखने वाली संस्था के तौर पर जानी जाती है के मुताबिक, भारत के सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर 2017 में भी एक साइबर हमले की कोशिश हुई थी। यह उन कई साइबर हमलों में से एक था, जो चीन पिछले 13 सालों से लगातार कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का भी मानना है कि साइबर अटैक कम्युनिकेशन के लिए बड़ा खतरा है, हालांकि अब तक संस्थान के सिस्टम इससे प्रभावित नहीं हुए हैं।
CASI की 142 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2018 के बीच चीन ने कई बार भारतीय नेटवर्क पर साइबर हमलों को अंजाम देने की कोशिश की। 2012 में तो चीन के नेटवर्क आधारित कंप्यूटर अटैक का निशाना जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (JPL) थी। चीन इस हमले के जरिए JPL के नेटवर्क पर पूरा नियंत्रण पाना चाहता था। रिपोर्ट में कुछ अन्य हमलों की जानकारी के साथ सूत्रों के बारे में भी बताया गया है। CASI ने अमेरिकी रक्षा विभाग ‘पेंटागन’ की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया है, जिसमें कहा गया है कि चीनी सेना (PLA) लगातार ऐसी तकनीक विकसित करने में जुटी है जिससे दुश्मन को स्पेस तकनीक के इस्तेमाल में बिना संचार के छोड़ा जा सके।
ISRO का क्या कहना है?: जानकारों के मुताबिक, इसरो पिछले कुछ सालों में इन साइबर अटैक्स के स्रोतों का पता नहीं लगा पाया। यानी अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि इसरो के सिस्टम पर कहां से हैकिंग का प्रयास हो रहा है। हालांकि, इसरो के पास ऐसे कई सिस्टम हैं, जो संस्थान को अलर्ट कर देते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, चीनी कई बार कोशिश कर के फेल हो चुके होंगे, लेकिन इसरो के सिस्टम्स अब तक हैकिंग का शिकार नहीं हुए हैं।