Lok Sabha Election 2019: भारत में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिले करीब 100 साल होने को हैं। साल 1993 में ग्राम पंचायत में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिला था। इन सब के बावजूद बात जब संसद में महिलाओं के प्रतिनिधत्व की आती है हम अपने पड़ोसियों से भी काफी पीछे नजर आते हैं।

वैश्विक स्तर पर आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद यह सामने आया है कि लोकसभा में महिलाओं का सर्वाधिक 12 फीसदी प्रतिनिधित्व साल 2014 में था। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार चीन की राष्ट्रीय संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी भारत से दोगुनी करीब 24.9 फीसदी है। वहीं नेपाल में महिला प्रतिनिधियों की संख्या भारत के तीन गुना 32.7 फीसदी है।

पाकिस्तान में भी भारत की तुलना में महिला प्रतिनिधियों की संख्या लगभग दो गुना अधिक है। पाकिस्तान की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 20.6 फीसदी है। महिला प्रतिनिधित्व के मामले में नेपाल शीर्ष पर है वहीं दूसरा स्थान जर्मनी का है। यहां की संसद में करीब 30.7 फीसदी महिलाएं हैं।

राष्ट्रीय संसद के वैश्विक संगठन इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन की रिपोर्ट ‘वूमेन इन पार्लियामेंट इन 2018’ के अनुसार जिन देशों में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं है वहां निचले सदन में महिलाओं की हिस्सेदारी 18.6 फीसदी और ऊपरी सदन में 16.2 फीसदी है। सीएसडीएस के पॉलिटिकल साइंटिस्ट प्रवीण राय का कहना है कि सीटों पर महिलाओं को आरक्षण देना लैंगिक असंतुलन को दूर करने का एकमात्र तरीका है।

दूसरी तरफ ब्राजील, भूटान और श्रीलंका ऐसे देश है जो महिलाओं की संसद में भागीदारी के मामले में भारत से पीछे हैं। वर्ल्ड बैंक के आंकडों के अनुसार इन देशों की संसद में महिलाओं की भागीदारी क्रमशः 10.7 फीसदी, 8.5 फीसदी और 5.8 फीसदी है। अपने यहां की बात करें तो क्षेत्रीय दलों ने महिला प्रतिनिधत्व बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल ने महिलाओं को 2019 के लोकसभा चुनाव में 33 फीसदी सीटों पर टिकट देने की घोषणा की है। वहीं कांग्रेस ने भी लोकसभा में महिला आरक्षण बिल लाने की बात कही है।