चीन में एक बार फिर से कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। बता दें कि चीन के सबसे अधिक आबादी वाले शहर शंघाई में कोरोना के रिकॉर्ड मामले दर्ज किये जा रहे हैं। मामलों पर काबू पाने के लिए चीन नागरिकों पर सख्त पाबंदिया लगाई गई हैं। बता दें कि शंघाई की रहने वाली एस्थर झाओ भी इस सख्ती से गुजर रही हैं।
झाओ की ढाई साल की बेटी को 26 मार्च को बुखार हुआ था, जिसके बाद वो उसे अस्पताल लेकर गई थीं। जांच में उसकी कोरोना रिपोर्ट संक्रमित आई। वहीं तीन दिन बाद उसकी मां भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई। इस स्थिति में मां को वयस्क लोगों के लिए बनाए गए क्वारंटीन सेंटर भेजा गया।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, मां और बेटी को अलग करने के दौरान डॉक्टरों के सामने झाओ ने रोते हुए अपील की कि उसे उसकी छोटी सी बच्ची से अलग न किया जाए, आखिर वो दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं। लेकिन सख्त नियमों के चलते डॉक्टरों को ऐसा करना ही पड़ा। आरोप के मुताबिक डॉक्टरों ने महिला को धमकी तक दी कि अगर वो अपनी बेटी को बच्चों के लिए बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में नहीं भेजेगी तो उसे अस्पताल में ही छोड़ दिया जाएगा।
कोरोना महामारी के इस दौर में इस तरह की कई झकझोर देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। बता दें कि झाओ और उसके पति अपनी बेटी का हाल जानने के लिए कई अस्पतालों में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्हें डॉक्टरों के चैटिंग ग्रुप से बस इतनी जानकारी दी गई कि बच्ची की तबियत ठीक है।
झाओ ने शनिवार को रोते हुए कहा, “मेरी बच्ची की कोई फोटो नहीं है, मैं उसे लेकर बहुत परेशान हूं। मुझे नहीं पता कि मेरी बेटी किस हालत में है। डॉक्टरों ने कहा है कि शंघाई का नियम है कि बच्चों को अलग स्थान पर और वयस्कों को अलग सेंटर में भेजा जाएगा। और इस हालात में किसी को भी बच्चों के साथ जाने की अनुमति नहीं है।”
बता दें कि चीन में कोरोना संक्रमित पैरंट्स और बच्चों को एकसाथ रखने पर पाबंदी है। ऐसे में कई वीडियो सोशल मीडिया पर देखे गए हैं, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों से मिलने और उनका हाल जानने के लिए रोते दिखाई दे रहे हैं।
चीन का सबसे अधिक आबादी वाला शहर शंघाई कोरोना महामारी के प्रकोप से अधिक रूप से जूझ रहा है। झाओ और उसके बच्चे की तरह कई कहानियां चीनी शासन के कोरोना से लड़ने की नीति पर सवाल खड़े कर रही है। लोग बीजिंग की “डायनेमिक क्लीयरेंस” नीति पर सवाल कर रहे हैं।
