अमेरिका ने भारत को अगाह करते हुए कहा है कि भारत ये ना सोचे कि अगर एलएसी पर चीन गतिरोध उत्पन्न करेगा तो रूस उसकी मदद के लिए दौड़ा चला आएगा। अमेरिका के डिप्टी एनएसए ने ये बातें कही हैं।
अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह बुधवार को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए हुए थे। इसी दौरान उन्होंने भारत-रूस के रिश्ते को लेकर तल्ख टिप्पणी की। दिल्ली में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ बैठक करने के बाद दलीप सिंह ने कहा कि अमेरिका नहीं चाहता है कि प्रतिबंधों के बीच कोई देश रूस के केंद्रीय बैंकों से कोई लेन-देन करे।
दरअसल रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत इसमें तठस्थ नीति अपनाए हुए है, जबकि अमेरिका समेत यूरोप चाहता है कि भारत, रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में उसका साथ दे और यूएन में भी रूस के खिलाफ वोटिंग करे। इसे लेकर बाइडेन समेत तमाम नेता पीएम मोदी से बात भी कर चुके हैं। अब जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दिल्ली पहुंच चुके हैं, पीएम मोदी से उनकी मुलाकात होने वाली है, जहां रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा व्यापार पर भी बात हो सकती है, उससे पहले दलीप सिंह ने भारत को आगाह किया है।
दलीप सिंह रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने कहा- “रूस, चीन के साथ इस रिश्ते में जूनियर पार्टनर बनने जा रहा है। मुझे नहीं लगता कि किसी को विश्वास होगा कि अगर चीन एक बार फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है, तो रूस, भारत के बचाव में दौड़ता हुआ आएगा। इसलिए यही वह संदर्भ है जिसमें हम वास्तव में चाहते हैं कि दुनिया भर के लोकतंत्र और विशेष रूप से, क्वाड एक साथ आए”।
दलीप सिंह ने आगे कहा कि अमेरिका नहीं चाहेगा कि डॉलर आधारित वित्तीय प्रणाली की अनदेखी हो और रूबल में रूस के साथ व्यापार बढ़े। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में रूसी ऊर्जा का आयात किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं करता है। क्योंकि अमेरिका ने इसमें छूट दे रखी है। इसलिए भारत रूस से इसका आयात कर सकता है।