पहाड़ी राज्यों में मौसम का मिजाज बदल गया है, बर्फबारी की वजह से मैदानी इलाकों में भी ठिठुरन महसूस होने लगी है। इस बीच जम्मू-कश्मीर में अब ठंड के कई रिकॉर्ड टूटेंगे, 20 दिसंबर से चिल्ला-ए-कलां का दौर शुरू हो गया है। सभी के मन में सवाल है- आखिर चिल्ला-ए-कलां का मतलब क्या होता है। यहां सरल शब्दों में पूरी बात समझने की कोशिश करते हैं।
चिल्ला-ए-कलां क्या होता है?
असल में जम्मू-कश्मीर में सर्दियों के सबसे कठोर और ठंडे दौर को ही चिल्ला ए कलां कहा जाता है। ये 40 दिनों की अवधि होती है, 20 दिसंबर से लेकर 30 जनवरी तक भीषण ठंड का प्रकोप देखने को मिलता है। ये वो दौर होता है जब तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है, झीलें जम जाती हैं और ऊंची चोटियां बर्फ की चादर से लिपटी रहती हैं। वैसे जम्मू-कश्मीर में ठंड के अलग-अलग दौर देखने को मिलते हैं, उनके अलग नाम चलते हैं।
कश्मीर में ठंड के अलग-अलग दौर
उदाहरण के लिए चिल्ला-ए-खुर्द भी कहा जाता है, इसका मतलब होता है- कम ठंड का दौर। ये अवधि 20 दिन के करीब रहती है, इस दौरान ठंड तो काफी रहती है, लेकिन उतनी नहीं जितनी चिल्ला-ए-कलां के दौरान देखने को मिलती है। इसके बाद घाटी में और कम ठंड का दौर भी आता है, इसे चिल्ला-ए-बच्चा कहा जाता है। इसकी अवधि 10 दिन होती है।
उत्तर भारत का क्या हाल है?
वैसे इस समय पूरा उत्तर भारत भी ठंड का टॉर्चर झेल रहा है, आलम यह है कि राजधानी दिल्ली में 129 उड़ाने रद्द हो चुकी हैं। इंडिगो ने तो एडवाइजरी भी जारी की है, जोर देकर बोला है कि घने कोहरे की वजह से उड़ानें प्रभावित रह सकती हैं। दिल्ली-एनसीआर में तो कोहरे का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है, इसके साथ प्रदूषण की मार ने भी चुनौतियां बढ़ा रखी हैं। राजधानी दिल्ली में इस समय सर्दी का ऑरेंज अलर्ट, आने वाले दिनों में तापमान और गिरने के आसार हैं।
