CJI Bhushan Ramkrishna Gavai: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बेहद भावुक हो गए। उन्होंने अपने जीवन की कुछ निजी बातों को लोगों के सामने रखा और इस दौरान उन्हें पालने में उनके माता-पिता के द्वारा किए गए संघर्षों का भी जिक्र किया। बेहद इमोशनल और भरे हुए गले से CJI ने बताया कि किस तरह वह कानून के रास्ते में करियर बनाने के लिए आगे आए।
भारत के 52वें CJI गवई ने कहा, ‘मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था लेकिन मेरे पिता के मेरे लिए कुछ और ही सपने थे। वह हमेशा चाहते थे कि मैं वकील बनूं, एक ऐसा सपना जो वह खुद पूरा नहीं कर सके।’ CJI ने बताया कि अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने आर्किटेक्ट बनने का सपना छोड़ दिया।
गवई CJI बनने के बाद उनके सम्मान में नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शुक्रवार को आयोजित किए गए कार्यक्रम में बोल रहे थे।
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अपने माता-पिता के बारे में बात करते हुए CJI भावुक हो गए। गवई ने कहा, ‘मेरे पिता ने खुद को अंबेडकर की सेवा में समर्पित कर दिया। वह खुद वकील बनना चाहते थे, लेकिन वह अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सके क्योंकि उन्हें आजादी के आंदोलन का हिस्सा होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था।’ CJI ने बताया कि वह एक ज्वाइंट फैमिली में पले-बढ़े जिसमें बहुत सारे बच्चे थे और सारी जिम्मेदारी उनकी मां और चाची के कंधों पर थी।
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…अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलोगे
गवई ने बताया, ‘जब हाई कोर्ट में जज के पद के लिए मेरे नाम की सिफारिश की गई तो मेरे पिता ने कहा कि अगर तुम वकील ही रहोगे तो सिर्फ पैसे के पीछे भागोगे लेकिन अगर तुम जज बनोगे तो अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलोगे और समाज के लिए अच्छा काम करोगे।”
गवई ने आगे कहा कि उनके पिता भी सोचते थे कि उनका बेटा एक दिन CJI बनेगा लेकिन वे इसे देखने के लिए जीवित नहीं रहे। गवई ने कहा, ‘वह 2015 में दुनिया से चले गए लेकिन मुझे खुशी है कि मेरी मां अभी जीवित हैं।’
इस दौरान CJI ने महसूस किया कि वहां मौजूद लोग भावुक हो गए हैं। शायद माहौल को हल्का करने के लिए उन्होंने एक और दिन के बारे में बताया जब नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अभिनेत्री हेमा मालिनी के खिलाफ चेक बाउंस का मामला दर्ज किया गया था।
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