Chhath Puja 2021 : दिल्ली में इस साल सार्वजनिक स्थानों और नदी के किनारे छठ का त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही त्योहारों के दौरान मेला या खाने-पीने की दुकानें लगाने नहीं दी जाएंगी। यह घोषणा दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने बृहस्पतिवार को की। प्राधिकरण ने नए कोविड-19 दिशानिर्देश में हालांकि कहा है कि बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने और समारोह के लिए नियमों में ढील त्योहार मनाने के लिए केवल 15 नवंबर तक दी गई है।

DDMA ने एक आधिकारिक आदेश में कहा, ‘‘दिल्ली में त्योहारों के दौरान प्रदर्शनी, मेला, खाने – पीने की दुकानें, झूला, रैली और जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी। सार्वजनिक स्थानों पर छठ मनाने की भी अनुमति नहीं दी जाएगी और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे इस त्योहार को अपने घर में ही मनाएं।’’ आदेश में कहा गया है, ‘‘उत्सव समारोह मनाने के लिए सभी आयोजकों को पूर्व में ही संबंधित जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। जिलाधिकारी या प्राधिकारी निषिद्ध क्षेत्र में कोई भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं देंगे।’’

डीडीएमए ने स्पष्ट किया किसी भी उत्सव में लोगों को खड़े होने या जमीन पर बैठने की अनुमति नहीं होगी और केवल कुर्सियों की व्यवस्था होने और सामाजिक दूरी का अनुपालन करने पर ही कार्यक्रम की अनुमति दी जाएगी।

दिल्ली में कोरोना की ताजा स्थिति: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना की ताजा स्थिति पर बात करें तो इस वक्त कोरोना के 392 मरीज एक्टिव अवस्था में हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरुवार शाम को जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 41 नए मामले सामने आए हैं। संक्रमण के मामलों के कम होने के साथ ही लोग अब पुरानी दिनचर्या में लगभग लौट रहे हैं, ऐसे में सरकार लगातार कोरोना नियमों के पालन की अपील कर रही है।

कब है छठ पूजा: हर साल दिवाली के तीन दिन बाद यानी कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से लेकर षष्टी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य तौर पर उत्तर-पूर्व भारत में मनाया जाता है। इस बार 10 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।

पिछली बार भी कोरोना के साए में मनाया गया था छठ महापर्व: उत्तर-पूर्व भारत में धूमधाम से मनाए जाने वाले इस त्योहार की रौनक दिल्ली एनसीआर में भी देखने को मिलती है। पिछले साल भी कोरोना के प्रकोप के चलते इस पर्व को सार्वजनिक तौर पर मानने की मनाही थी। बड़ी संख्या में लोगों ने राजधानी से एनसीआर की ओर रुख किया था। लोगों ने अपने रिश्तेदारों या फिर जानकारों के घर जाकर छठ महापर्व के मौके पर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया था।