Chhatarpur (Delhi) Election/Chunav Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर रही। आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव में पूरा जोर लगाया। चुनाव में दक्षिण दिल्ली की हाई-प्रोफाइल छतरपुर विधानसभा सीट पर भी रोचक मुकाबला देखने को मिला। इस बार विधानसभा चुनाव में छतरपुर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार करतार सिंह तंवर को 80 हजार से ज्यादा वोट मिले।
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उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ब्रह्म सिंह तंवर को 6239 वोटों से मात दी। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से राजिंदर तंवर को उतरा था, जिन्हें सिर्फ 6601 वोट मिले। बता दें कि छतरपुर दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 10 विधानसभा सीटों में से एक है। यह सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है।
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पार्टी | उम्मीदवार | वोट |
आप | ब्रह्म सिंह तंवर | 74230 |
बीजेपी | करतार सिंह तंवर | 80469 (जीते) |
कांग्रेस | राजिंदर तंवर | 6601 |
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छतरपुर सीट पर पिछले चुनावी नतीजे
2013 में बीजेपी के ब्रह्म सिंह तंवर ने इस सीट से जीत हासिल की थी। ब्रह्म सिंह तंवर को 49,975 और कांग्रेस उम्मीदवार बलराम तंवर को 33,851 वोट मिले थे। ब्रह्म सिंह तंवर इस चुनाव में 16,124 वोटों से जीते थे।
2015 के विधानसभा चुनाव में करतार सिंह तंवर आम आदमी पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे। 2015 में करतार सिंह तंवर को 67,644 और बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्म सिंह तंवर को 45,405 वोट मिले थे। इस तरह करतार सिंह तंवर 22,240 वोटों से जीते थे।
2020 के विधानसभा चुनाव में करतार सिंह तंवर फिर से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। इस बार करतार सिंह तंवर को 69,411 जबकि ब्रह्म सिंह तंवर को 65,691 वोट मिले थे। इस चुनाव में करतार सिंह तंवर 3720 वोटों से जीते।
साल | विजेता उम्मीदवार | पराजित उम्मीदवार |
2013 विधानसभा चुनाव | ब्रह्म सिंह तंवर | बलराम तंवर |
2015 विधानसभा चुनाव | करतार सिंह तंवर | ब्रह्म सिंह तंवर |
2020 विधानसभा चुनाव | करतार सिंह तंवर | ब्रह्म सिंह तंवर |
1993 में बीजेपी ने बनाई थी सरकार
दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव 1993 में हुए। तब कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला था। 1993 में बीजेपी ने पहली बार सरकार बनाई, लेकिन अगले तीन चुनावों (1998, 2003 और 2008) में कांग्रेस ने सत्ता पर कब्जा जमाए रखा। हालांकि, 2013 के चुनावों में दिल्ली में आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और शानदार प्रदर्शन करते हुए 28 सीटें जीतीं।
2013 में आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद संभाला लेकिन उनकी सरकार महज 49 दिनों तक ही चली। इसके बाद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल पास न होने की वजह से इस्तीफा दे दिया, जिससे दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। 2015 में आप ने शानदार वापसी की। पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया। इस चुनाव में बीजेपी मात्र 3 सीटें जीत सकी, जबकि कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई।
2020 में आप ने फिर से अपना दबदबा कायम रखा। पार्टी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी 8 सीटें जीतने में कामयाब रही। कभी दिल्ली की राजनीति में अजेय मानी जाने वाली कांग्रेस 2015 और 2020 के चुनावों में हाशिये पर चली गई।