पत्नी की जानकारी के बिना फोन पर की गई उसकी बातचीत को रिकॉर्ड करना निजता का हनन है। यह टिप्पणी पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने की है। कोर्ट ने कहा कि दूसरे किसी अन्य व्यक्ति की तरह से पत्नी की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। उसका फोन खंगालना बिलकुल गलत है। चाहें ये काम उसका पति ही क्यों नहीं कर रहा है।
जस्टिस लीला गिल की सिंगल बेंच ने एक महिला की याचिका पर पिछले महीने यह आदेश पारित किया। इस महिला ने बठिंडा फैमिली कोर्ट के 2020 के आदेश को चुनौती दी थी। बठिंडा की अदालत ने याचिकाकर्ता महिला के पति को उसकी और पत्नी की बातचीत की रिकॉर्ड सीडी सबूत के तौर पर पेश करने की अनुमति दी थी। अपने आदेश में फैमिली कोर्ट ने कहा कि था कि बातचीत के रिकॉर्ड का सही होना जरूरी है।
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पत्नी की जानकारी के बिना उसकी बातचीत को रिकॉर्ड करना स्पष्ट तौर पर उसकी निजता का हनन है। अदालत ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि किन परिस्थितियों में बातचीत हुई या किस तरह से बातचीत रिकॉर्ड करने वाले व्यक्ति ने जवाब दिया। इसमें यह बिलकुल स्पष्ट है कि बातचीत निश्चित तौर पर दूसरे पक्ष से छिपाकर रिकॉर्ड की गई होगी।
इस मामले में पति ने वर्ष 2017 में महिला से तलाक मांगते हुए अर्जी डाली थी। उनकी शादी साल 2009 में हुई थी। दंपति की एक बेटी है। जिरह के दौरान जुलाई 2019 में पति ने आवेदन दाखिल कर पूरक हलफनामे के साथ मोबाइल फोन से की गई बातचीत की रिकॉर्डिंग जमा कराने की अर्जी दी, जिसकी मंजूरी 2020 को परिवार अदालत ने दे दी थी। हाईकोर्ट ने बटिंडा की फैमिली कोर्ट का यह आदेश खारिज कर दिया।
हालांकि, पति की तरफ से पेश वकील ने दलील दी कि पत्नी ने उसके मुवक्किल के साथ क्रूरता पूर्ण बर्ताव करती थी। उनकी दलील थी कि महिला के फोन की रिकार्डिंग केवल इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए की गई थी। उनका कहना था कि इसे गलत करार नहीं दिया जा सकता। यह मामले का अहम पहलू है।