आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौरी-चौरा शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया और इस मौके पर एक डाक टिकट भी जारी किया। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने चौरी-चौरा कांड के 100 साल पूरे होने पर पूरे राज्य में समारोह मनाने की तैयारी की है। 4 फरवरी 2022 को चौरी-चौरा कांड के 100 साल पूरे होने वाले हैं।

चौरी-चौरा कांड: 4 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा में किसानों की एक भीड़ ने एक पुलिस थाने को आग लगा दी थी जिसमें कि 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे। शाहिद अमीन की ”Event, Metaphor, Memory: Chauri Chaura, 1922-1992” के मुताबिक 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी। जिसमें कि विदेशी सामान का बहिष्कार करना शामिल था। खासकर की विदेशी कंपनियों से बनने वाले कपड़े और दूसरी चीजों का भी बहिष्कार किया गया था।

गांधीजी ने अपील की थी कि ऐसे शासकों के साथ सहयोग नहीं किया जाएगा जो कि गलत ढंग से देश की सत्ता चला रहे हैं। जैसे ही आंदोलन तेज हुआ देशभर से लोग इस आंदोलन में जुटने लगे। 1921-22 की सर्दियों में कांग्रेस और खिलाफत आंदोलन से जुड़े लोगों ने नेशनल वालंटियर कॉर्प्स तैयार की।

जनवरी 1922 में गोरखपुर कांग्रेस और खिलाफत कमेटी की मीटिंग के बाद असहयोग आंदोलन को चलाने के लिए लोगों को नियुक्त किया गया। चौरी-चौरा की घटना से ठीक पहले पुलिस ने इन स्वयंसेवकों पर कार्रवाई की थी जो कि विदेशी कपड़ों के कारोबार को रोकने की कोशिश कर रहे थे।

4 फरवरी 1922 को लोगों ने असहयोग आंदोलन के समर्थन में एक जुलूस निकाला। स्थानीय थाने के पास से जुलूस निकाला गया। पुलिस द्वारा हवा में फायर की गई गोलियों को लोगों ने नजरअंदाज किया और आगे बढ़े और पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने लोगों पर गोलियां चलाईं और 3 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए।

इसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। बाद में पुलिस ने खुद को थाने में छिपाया। इसके बाद लोगों ने थाने पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। इस घटना के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने दमन चक्र चलाया और लोगों की धरपकड़ शुरू हुई। अदालत ने 225 आरोपियों में से 172 को मौत की सजा सुनाई थी और बाद में 19 लोगों को फांसी की सजा दी गई और बाकियों को आजीवन कारावास दिया गया। 12 फरवरी 1922 को गांधी जी ने हिंसा के चलते असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।

आज के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम सब को भारत को एक एकजुट रखने की शपथ लेनी चाहिए। हमारे लिए भारत की एकता प्राथमिकता होनी चाहिए और इसे हर चीज से ऊपर मानना चाहिए। हम सब को एक साथ आगे बढ़ना है।