दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाला मामले में इस्पात मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी को तीन साल की सजा सुनाई। स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने इस्पात मंत्रालय के जेपीसी के पूर्व कार्यकारी सचिव गौतम कुमार बसाक को विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक के आवंटन में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराते हुए उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

प्रासीक्यूशन के अनुसार जनवरी 2007 में कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन करने वाली प्रकाश इंडस्ट्रीज लि. पर आरोप था कि उसने अपनी क्षमता के बारे में गलत जानकारी दी। मंत्रालय ने बसाक को आरोप की सच्चाई का पता लगाने का निर्देश दिया था। बसाक ने 2008 में कंपनी के दावों का समर्थन करते हुए एक झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की। दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी और उसके निदेशक को इस मामले में बरी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील लंबित है।

अब तक 14 आरोपियों को सजा सुना चुकी है स्पेशल कोर्ट

कोयला घोटाले में स्पेशल कोर्ट अब तक 14 आरोपियों को सजा सुना चुकी है। बसाक 14वें शख्स हैं जो सजायाफ्ता हुए हैं। इससे पहले कोर्ट ने सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे को सजा सुनाई थी। खास बात है कि दर्डा के मामले में सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट लेकर कोर्ट पहुंची थी। लेकिन अदालत ने उसे खारिज करते हुए कहा कि मामले की फिर से विवेचना कर एजेंसी अपनी रिपोर्ट दाखिल करे।

सीबीआई की फ्रेश रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की स्पेशल कोर्ट ने राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा और कारोबारी मनोज कुमार जयसवाल को चार साल की सजा सुनाई। दर्डा, उनके बेटे और कारोबारी पर लाखों का जुर्माना भी लगाया था।

कोयला घोटाला यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान सामने आया था। सरकार ने सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा तो एक के बाद एक करके घोटाले की परतें खुलती चली गईं। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। दिल्ली की अदालत इस मामले में 13 लोगों को दोषी करार देकर सजा सुना चुकी है। तकरीबन सारे आरोपी जमनात पर हैं।