Chargsheet Against Satyapal Malik: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किरू हाइड्रो परियोजना से जुड़े कथित करप्शन मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है जिसमें सत्यपाल मलिक का नाम शामिल है। उनके अलावा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भी चार्जशीट दायर हुई है।
इस बारे में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा है कि कथित किरू हाइड्रो परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सत्यपाल मलिक, उनके प्राइवेट सेकरेट्री और चार अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। इस एक्शन को लेकर अभी तक सत्यपाल मलिक ने सामने से कोई प्रतिक्रिया नहीं है। सोशल मीडिया पर उनकी एक पोस्ट जरूर सामने आई है जिसमें वे अस्पताल में दिखाई दे रहे हैं।
उस पोस्ट में लिखा है कि नमस्कार साथियों। मेरे बहुत से शुभचिंतकों के फ़ोन आ रहे हैं जिन्हें उठाने में मैं असमर्थ हूं।अभी मेरी हालत बहुत खराब है मैं फिलहाल राममनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली में भर्ती हूं ओर किसी से भी बात करने की हालत में नहीं हूं
पिछले कुछ समय से सत्यपाल मलिक और सरकार के बीच में तल्खी चल रही है, बात चाहे पुलवामा आंतकी हमले से जुड़ी सुरक्षा की रही हो या फिर किसान आंदोलन की, सत्यपाल मलिक के बयानों ने केंद्र की मुश्किलें कई मौकों पर बढ़ाई हैं। उसके बाद से ही रिश्तों में करवाहट आ गई और कई मौकों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला। अब इस बार सीबीआई ने जिस कथित घोटाले में सत्यपाल मलिक के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, उसकी जांच भी लंबे समय से चल रही है।
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जानकारी के लिए बता दें कि किरू हाईड्रो प्रोजेक्ट किश्तवाड़ तहसील में चिनाब नदी पर विकसित की जा रही एक रन-ऑफ-द-रिवर योजना है। इस परियोजना का विकास चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (सीवीपीपी) की तरफ से विकसित किया जा रहा है। यह नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी, 49%), जम्मू और कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेकेएसपीडीसी, 49%) और पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (पीटीसी, 2%) के बीच एक करार है।
अब हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य का ठेका देने में कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उस समय तो खुद सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें प्रोजेक्ट से संबंधित दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश की गई थी। वैसे इस पूरे विवाद में एक आरोप यह भी है कि परियोजना से संबंधित सिविल कार्यों के आवंटन में, ई-टेंडरिंग के संबंध में दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया।
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