इंटरनेशनल योगा डे का प्रोग्राम जो कि 21 जून को होना है वह सरकार की तरफ से जारी एक प्रोटोकॉल को लेकर विवादों में आ गया है। यूजीसी की तरफ से जारी किए गए प्रोटोकॉल में कहा गया है कि योग दिवस में शामिल होने वाले लोगों को योग शुरू करने से पहले ‘ओम’ और योग खत्म होने पर ‘ओम शांति शांति शांति’ बोलना होगा।
यूजीसी की तरफ से यह फरमान वहां के सचिव जसपाल एस संधु की तरफ से सभी यूनिवर्सिटी और उनके वाइस चांसलर को भेजा गया है। इसमें यह भी लिखा गया है कि सभी को इस प्रोग्राम में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी दिखानी है।
इसी बात पर बवाल हो रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता पीसी चाको ने बीजेपी सरकार पर इस कार्यक्रम का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। चाको ने कहा, ‘योग भारत का प्राचीन ज्ञान है। यह बीजेपी द्वारा खोजी गई चीज नहीं है। बहुत से लोगों को ओम बोलने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में कुछ शोध करके उन लोगों के लिए कुछ और शब्द की तलाश करनी चाहिए थी जिसे ओम की जगह पर बोला जा सके, पर ऐसा नहीं हुआ। वे लोग गलत ढंग से योग का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे चाहते तो कुछ बदलाव करके इस विवाद से बच सकते थे।’
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जदयू से राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने कहा, ‘मैं हिंदू हूं और वैदिक मान्यताओं को मानता हूं। मुझे ओम बोलने में कोई दिक्कत नहीं है, पर सरकार को बाकी लोगों की धार्मिक भावना का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर बीजेपी अपना सांप्रदायिक एजेंडा आगे बढ़ाना ही चाहती है तो उसे भारत को एक धार्मिक देश घोषित कर देना चाहिए।’
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वहीं, आयुष मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से सफाई दी गई है कि ओम बोला ही जाए, ऐसा जरूरी नहीं है। 21 जून को पिछली साल से यूएन की तरफ से ‘इंटरनेशनल योगा डे’ घोषित किया गया था। पिछली बार इसका कार्यक्रम दिल्ली में हुआ था जिसमें पीएम मोदी ने भी हिस्सा लिया था। इसबार यह कार्यक्रम चंडीगढ़ में होगा। पीएम मोदी इस बार भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं।