Caste Census: देश की 16वीं जनगणना के लिए सोमवार को जारी राजपत्र अधिसूचना में ‘जाति’ शब्द गायब होने को लेकर केंद्र एक बार फिर संदेह के घेरे में आ गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाति जनगणना पर पिछले कुछ वर्षों में उनके बदलते रुख पर सवाल उठाया। रमेश ने पूछा कि क्या उन्होंने यह सुनिश्चित करने के बाद फिर से अपना मन बदल लिया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा, ‘आज की जो अधिसूचना आई है इसमें नई बात क्या है? इसमें यही कहा गया है न कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में अक्टूबर 2026 को भारत के अन्य राज्यों में मार्च 2027 को जनगणना होगी, यह तो 30 अप्रैल को ही घोषणा की गई थी तो यह बहुत प्रचारित अधिसूचना है… अंत में क्या निकला, यही जो 30 अप्रैल को आपने घोषणा की थी वही दोहराया है और इसमें सिर्फ जनगणना की बात है, जातीय जनगणना की बात नहीं है…क्यों इसमें जाति को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया। क्य पीएम मोदी में अपना विचार बदल लिया है?’
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसमें जाति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, कितने सवाल होंगे, क्या सिर्फ गिनती होगी या सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर भी सवाल होंगे इसके बारे में कुछ नहीं है। हेडलाइन बनाने के लिए उन्होंने यह अधिसूचना निकाली। बहुत से सवाल हैं और हम यह दबाव कायम रखेंगे कि तेलंगाना मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गजट अधिसूचना में ‘जाति’ शब्द का उल्लेख नहीं है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, जिन्होंने एक्स पर अधिसूचना पोस्ट की। उन्होंने कहा कि जाति गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना के लिए गजट अधिसूचना जारी!
इसी तरह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने रविवार को 16वीं जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ‘जनगणना में पहली बार जाति गणना शामिल होगी’। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16वीं जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की।
उन्होंने कहा था कि कल जनगणना की राजपत्र अधिसूचना जारी की जाएगी। जनगणना में पहली बार जाति गणना भी शामिल होगी। 34 लाख गणनाकार और पर्यवेक्षक तथा लगभग 1.3 लाख जनगणना अधिकारी अत्याधुनिक मोबाइल डिजिटल गैजेट के साथ इस कार्य को करेंगे।
हालांकि, जयराम रमेश ने पिछले रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने जाति गणना का विरोध किया था, तब उन्होंने किसी समय सीमा का उल्लेख नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाया था।
जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी 28 अप्रैल 2024 को कहते हैं कि जाति जनगणना की बात करने वालों की सोच ‘अर्बन नक्सल’ वाली है। मोदी सरकार 23 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहती है कि हम जाति जनगणना नहीं कराएंगे। यह हमारी नीति के खिलाफ है। लोकसभा में पूछे गए सवाल पर भी मोदी सरकार ने कहा कि हम जाति जनगणना नहीं कराएंगे, हम इसका विरोध करते हैं। लेकिन अचानक मोदी सरकार 30 अप्रैल 2025 को यू-टर्न लेती है और कहती है कि जाति जनगणना कराई जाएगी। यानी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दबाव में सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि यानी इसमें कोई समयसीमा नहीं है। मोदी सरकार ने सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए यह अधिसूचना जारी की है। इस मामले में कई सवाल हैं और हम इस बात पर दबाव बनाते रहेंगे कि राष्ट्रीय स्तर पर ‘तेलंगाना मॉडल’ अपनाया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी की। जिसमें कहा गया कि 16वीं जनगणना लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके, विषम क्षेत्रों में अक्टूबर 2026 में शुरू होगी, जबकि देश के बाकी हिस्सों में मार्च 2027 में यह शुरू होगी।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम 1948 की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और भारत सरकार के गृह मंत्रालय की 26 मार्च, 2018 की अधिसूचना के संदर्भ में केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि भारत की जनसंख्या की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी।
भारत की 16वीं जनगणना के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 होगी, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके गैर-समकालिक क्षेत्रों को छोड़कर, जहां यह 1 अक्टूबर, 2026 होगी। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति के निर्णय के बाद, आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाएगा। वहीं, यहां यह भी जानते हैं कि जनगणना क्यों है जरूरी? पढ़ें…पूरी खबर।