Chandrayaan 3 Landing: चंद्रयान 3 बुधवार को चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा। इसको लेकर भारत के लोग एक्साइटेड हैं। वे कबसे इस पल का इंतजार कर रहे हैं। लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि चंद्रयान 3 लैंडिंग की लाइव स्ट्रीमिंग वे कहां देख सकते हैं। तो हम बता दें कि इसकी लाइव स्ट्रीमिंग इसरो के यू ट्यूब चैनल पर की जाएगी। इसके अलावा दूरदर्शन टीवी पर भी इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। आप जनसत्ता.कॉम के यू ट्यूब चैनल पर भी चंद्रयान 3 की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं। वैसे भारत के लोगों के लिए कल यानी बुधवार का दिन बेहद खास है। इसी बीच विशेषज्ञ डॉ. वी.टी. वेंकटेश्वरन ने चंद्रमा की रहस्यमयी दुनिया के बारे में कुछ बातें बताई हैं। यानी आप यहां चंद्रयान 3 से जुडे़ हर सवाल का जवाब जान सकते हैं।

वेंकटेश्वरन ने चंद्रमा के भूवैज्ञानिक विकास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब दिया है। ये चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव, पानी और बर्फ की मौजूदगी के बारे में है। उन्होंने साथ ही भारत की चंद्रमा एक्सप्लोरेशन के बारे में भी जानकारी दी। आगे आर्टिकल में हम इन सवालों और जवाबों के बारे में जानकारी देंगे।

  1. चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और विकास की अवधारणा क्या है? दूसरे शब्दों में कहें तो वह कितना पुराना है और कब और कैसे इसका निर्माण हुआ?

चांद की उम्र लगभग 4.5 अरब साल है। यानी मोटे तौर पर इसकी उम्र पृथ्वी के बराबर है। चंद्रमा के निर्माण का एक प्रमुख सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह के आकार का एक खगोलीय पिंड युवा धरती से टकराया था और इस टक्कर से निकले मलबे से ही चंद्रमा का निर्माण हुआ। हालांकि चंद्रमा से मिले भूगर्भीय सबूत संकेत देते हैं कि यह पृथ्वी से महज छह करोड़ साल युवा हो सकता है।

  1. चंद्रमा पर पृथ्वी की तुलना में वस्तु का भार कितना होगा और क्यों?

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले एक बटा छठा हिस्सा है। इसका नतीजा है कि चंद्रमा पर किसी वस्तु का वजन पृथ्वी के मुकाबले कम होगा। यह चंद्रमा के छोटे आकार और द्रव्य भार की वजह से है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर वजन 68 किलोग्राम है तो उसका चंद्रमा की सतह पर वजन सिर्फ 11 किलो होगा।

  1. भारतीय वैज्ञानिक क्यों चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडर उतारना चाहते हैं?

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपनी विशेषता और वैज्ञानिक मूल्य के कारण वैज्ञानिक खोज के केंद्र में बना हुआ है। माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर जल और बर्फ के बड़े भंडार हैं जो स्थायी रूप से अंधेरे में रहता है। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जल की मौजूदगी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसे पेयजल, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन जैसे संसाधनों में तब्दील किया जा सकता है। यह इलाका सूर्य की रोशनी से स्थायी रूप से दूर रहता है और तापमान शून्य से 50 से 10 डिग्री नीचे रहता है। इसकी वजह से रोवर या लैंडर में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आदर्श रसायनिक परिस्थिति उपलब्ध होती है जिससे वे बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

  1. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्या है? क्या वहां का भू्भाग चंद्रमा के बाकी इलाकों की तरह ही हैं या हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है?

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का भूभाग और भूगर्भीय संरचना उसके अन्य इलाकों से अलग है। स्थायी रूप से छाया में रहने वाले क्रेटर (उल्कापिंडों के टकराने से बने गड्ढों) में ठंड रहती है जिससे पानी के बर्फ के रूप में जमा होने की स्थिति उत्पन्न होती है। दक्षिणी ध्रुव की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां लंबे समय तक सूर्य की रोशनी आती है जिसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए किया जा सकता है। यह इलाका उबड़-खाबड़ बनावट से लेकर सपाट है जिससे अध्ययन के लिए कई वैज्ञानिकों को अवसर प्रदान करता है।

  1. क्यों चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव स्थायी रूप से छाया में रहता है?

यह चंद्रमा के भूविज्ञान पर निर्भर करता है। चंद्रमा की धुरी पृथ्वी के चारों ओर उसकी कक्षा में हल्की सी झुकी हुई है। इसका नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव के कुछ इलाकों हमेशा छाया में रहते हैं। यह छाया बहुत ही ठंडे वातावरण का निर्माण करती है। यहां तापमान बहुत नीचे जा सकता है। जमा देने वाली यह परिस्थिति बर्फ के रूप में पानी को अरबों साल तक संरक्षित रखने में सहायक है।

  1. क्या चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी/बर्फ की मौजूदगी है?

चंद्रयान-1 ने इसका संकेत दिया था। हां, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी की पृष्टि हो चुकी है। भारत द्वारा 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 सहित विभिन्न चंद्रमा मिशन से मिले आंकड़ों से संकेत मिला है कि हमेशा छाया में रहने वाले इलाके में जल की मौजूदगी है। इस खोज ने चांद पर खोज को बल दिया है।

  1. क्या पानी/बर्फ भविष्य में चंद्रमा पर होने वाली खोज के लिए अहम है?

बर्फ के रूप में पानी भविष्य में चंद्रमा खोज और उसके आगे के लिए भी अहम संसाधन है। इसे सांस लेने वाली हवा, पेयजल और सबसे अहम रॉकेट ईंधन के लिए हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में बदला जा सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति आ सकती है क्योंकि इन संसाधानों को पृथ्वी से ले जाने की जरूरत नहीं होगी और लंबी समय के मिशन संभव हो सकेंगे।

  1. क्या भारत की भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की योजना है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की मंशा जताई है लेकिन फिलहाल चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की कोई योजना नहीं है।