Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि मैंने चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दिन और कल की तुलना की तो निश्चित रूप से चंद्रमा पर जाने और दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने का मेरा सपना कल सच हो गया, इसलिए मुझे बेहद खुशी है कि कल ये सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो गई।

के सिवन ने कहा, ‘आख़िरकार हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं। लैंडिंग के बाद हम वापस नहीं आए, रोवर लैंडर से बाहर आने तक मैं कंट्रोल रूम में ही बैठा रहा। रोवर लैंडर से बाहर आया और चंद्रमा की सतह पर चला गया, इसे देखने के बाद ही मैं देर रात अपने घर वापस आया।’

2019 में तय किया था, कोशिश का पल कल देखा: के सिवन

इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने आगे कहा कि चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके। अन्यथा हम चार साल पहले ही ये सब कुछ हासिल कर सकते थे। अब हम बहुत खुश हैं कि हमने उस गलती से सीखा और इसे ठीक किया…2019 में ही हमने चंद्रयान-3 को कॉन्फ़िगर किया और क्या सुधार करना है यह भी 2019 में ही तय किया गया था। कल हमने उस प्रयास का फल देखा।

चंद्रयान-3 के लिए सब कुछ नए सिरे से तैयार करना पड़ा: ISRO चीफ

इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने बताया, ‘चंद्रयान 2 की हार्ड लैंडिंग हुई थी, इसलिए वे कुछ भी रिकवर नहीं कर सके थे। चंद्रयान 3 के लिए सब कुछ नए सिरे से तैयार करना पड़ा। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में एस. सोमनाथ ने बताया, ‘चंद्रयान-3 के लिए सब कुछ नए सिरे से तैयार करना पड़ा। हम चंद्रमा की सतह से चंद्रयान 2 का कोई भी हिस्सा हासिल नहीं कर सके थे।’

उन्होंने बताया कि चंद्रयान 2 की असफलता के बाद हमारा पहला साल यह पता लगाने में बीत गया कि चंद्रयान 2 में क्या गड़बड़ी हुई थी। फिर अगले साल साल हमने सब कुछ संशोधित किया। पिछले दो साल हमने परीक्षण में बिताए। सोमनाथ ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO को COVID-19 महामारी की वजह से काफी नुकसान हुआ था। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने हमारे कुछ कार्यक्रम बाधित कर दिए थे, लेकिन कुछ रॉकेट हम अब भी लॉन्च करते रहे। कोविड-19 के बाद, हम वापस पटरी पर आ गए।

एस. सोमनाथ ने बताया, ‘चंद्रयान-3 का समूचा हिसाब-किताब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर या दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने के लिए ही था, और दक्षिणी ध्रुव पर बड़ी तादाद में वैज्ञानिक संभावनाएं हैं, जो चंद्रमा पर पानी और खनिजों की उपस्थिति से संबंधित हैं।’

बता दें, भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर देश को दुनिया के विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल कर दिया। इसी लैंडिंग के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला दुनिया के पहला देश बन गया है, क्योंकि इंजन में खराबी के चलते उसी क्षेत्र में चंद्रमा को छूने की रूस का मिशन लूना- 25 क्रैश हो गया था। चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने का यह भारत का तीसरा प्रयास था। इससे पिछला, यानी चंद्रयान 2 सितंबर, 2019 में चंद्रमा पर लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आंशिक विफलता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।