Chandrayaan-2: चंद्रयान-2 की ‘हॉर्ड लैंडिंग’ के बाद इसरो ने न तो हार मानी है और न ही उम्मीदें छोड़ी हैं। हाल ही में वैज्ञानिक गौहर रजा ने दावा किया है कि चांद की सतह पर उतरने के दौरान चंद्रयान का विक्रम लैंडर टकराकर नहीं गिरा होगा। उन्होंने यह बात कहने के साथ ही विक्रम से संपर्क दोबारा जुड़ने वाले चमत्कार की उम्मीद जताई।
समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा, “यह बड़ी खबर है। सबके लिए…इसके दो मतलब हैं। पहला- आखिर में उतरते वक्त तक ‘विक्रम’ टकरा कर या ऐसे नहीं गिरा है कि वह तबाह हो जाता। दूसरा- जो सक्सेस रेट (सफलता से जुड़ा) है, वह हमारे प्रोजेक्ट का एकदम से बढ़ गया। यानी उसमें बड़ी अहम चीजें सही करने की जरूरत नहीं है।”
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उन्होंने आगे कहा- आगे जब हम भेजेंगे चंद्रयान-3…सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर इसरो के पास विकल्प नहीं है, क्योंकि वह भविष्य में करनी ही होगी। हमें इसलिए बड़ा खतरा नहीं है। कोई छोटी गड़बड़ हुई, जिसे आसानी से सही किया जा सकता है। अगर विक्रम से संपर्क हो गया, तो यह चमत्कार होगा। क्योंकि टूटने के बाद दोबारा संपर्क जुड़ना बेहद बड़ी बात है। संपर्क जुड़ना सबसे बड़ा चमत्कार होगा।
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यान का ऑर्बिटर एकदम ठीक है और शान के साथ चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। इसका कार्यकाल एक साल निर्धारित था, लेकिन अब इसरो ने कहा है कि पर्याप्त मात्रा में ईंधन होने के चलते ऑर्बिटर लगभग सात साल तक काम कर सकता है।
साइंटिस्ट गौहर रजा ने कहा, "स्कैनिंग एक बार में रुकेगी नहीं। हम उसे बार-बार स्कैन करेंगे। उसकी रफ्तार (उतरने के दौरान) पता करने की कोशिश करेंगे। ये डेटा पूरी मानव जाति इस्तेमाल करेगी। यह ऐसा खजाना है, जो हमें आगे कदम बढ़ाने में जरूरत पड़ेगी। आम जनता को यह समझना चाहिए कि साइंस में कोई चीज असफल नहीं होगी। हम जब किसी चीज (लक्ष्य) में सफल नहीं हो पाते हैं, तब हमारी उसमें देर हो जाती है। हो सकता है कि दो या तीन साल बाद हो। सिर्फ यही है कि तारीख में देरी हो जाए। वैज्ञानिकों के पास हताश होकर बैठने का विकल्प नहीं होती, क्योंकि देश को, मानवता को और विज्ञान को इसकी जरूरत है। यह पूरा होगा ही।"
चीन के लोगों ने भारत के दूसरे चंद्र मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की इंटरनेट पर काफी सराहना की है और उनसे उम्मीद न छोड़ने तथा ब्रह्मांड में खोज जारी रखने को कहा है। यह बात सोमवार को यहां आधिकारिक मीडिया ने कही। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, ‘‘ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी गईं तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक ‘हार्ड लैंडिंग’ थी। लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं। वह झुकी हुई स्थिति में है।’’
चीन में बहुत से लोगों ने ट्विटर जैसी माइक्रो ब्लॉंगिंग साइट ‘साइना वीबो’ पर भारतीय वैज्ञानिकों से उम्मीद न छोड़ने को कहा। सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स एक इंटरनेट उपभोक्ता के हवाले से कहा, ‘‘अंतरिक्ष खोज में सभी मनुष्य शामिल हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि किस देश को सफलता मिली, इसे हमारी प्रशंसा मिलनी चाहिए और जो अस्थायी रूप से विफल हुए हैं, उनका भी हौसला बढ़ाया जाना चाहिए।’’
दरअसल, चंद्रमा की सतह पर शनिवार तड़के लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के दौरान आखिरी पलों में उसका इसरो के जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट गया था। उस वक्त विक्रम पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) से महज 2.1 किमी ऊपर था। ‘लैंडर’ विक्रम के अंदर ‘रोवर’ प्रज्ञान भी है। इसरो ने इस बारे में ट्वीट किया, ‘‘लैंडर से संपर्क करने के लिए कोशिशें जारी हैं।’’
अभियान से जुड़े इसरो के सीनियर अधिकारी बोले, ‘‘आर्बिटर कैमरा की तस्वीरों से यह प्रर्दिशत होता है कि लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर साबुत अवस्था में है, वह टूट कर नहीं बिखरा है। यह झुकी हुई अवस्था में है। यह अपने चार पैरों पर खड़ा नहीं है, जैसा कि यह सामान्यत: रहता है।’’ अधिकारी ने बताया, ‘‘यह उलटा नहीं है। यह एक ओर झुका हुआ है।’’
टेरेन मैपिंग कैमरा का इस्तेमाल चंद्रयान-1 में भी किया गया था। यह चांद की सतह का हाई रिजोल्यूशन तस्वीर ले सकता है। यह चांद की कक्षा से 100 किमी की दूरी से चांद की सतह पर 5 मीटर से लेकर 20 किमी तक के क्षेत्रफल की तस्वीर लेने में सक्षम है।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर फिलहाल चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर की दूरी पर सफलतापूर्वक चक्कर लगा रहा है। 22 जुलाई को लॉन्च के समय ऑर्बिटर का कुल वजन 2379 था। इसमें ईंधन का वजन भी शामिल है। बिना ईंधन के ऑर्बिटर का वजन सिर्फ 682 किलो है।
इसरो के प्री-लॉन्च अनुमान के मुताबिक, विक्रम को सिर्फ एक ल्यूनर डे के लिए ही सीधी सूरज की रोशनी मिलेगी। इसका मतलब है कि 14 दिन तक ही विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी।
एक अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्कॉट टैली ने बताया कि नासा ने कैलिफर्निया स्थित अपने DSN के जरिए रेडियो संदेश विक्रम को भेजा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'DSN ने 12 किलोवाट की रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश की है। लैंडर को सिग्नल भेजने के बाद चांद एक रेडियो रिफ्लेक्टर की तरह व्यवहार करता है और सिग्नल का छोटा सा हिस्सा धरती पर भेज देता है जो 8 लाख किलोमीटर में घूमती हुई यहां पहुंचती है।'
दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी नासा भी चांद की सतह पर तिरछे पड़े लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिश में जूट गई है। एजेंसी ने लैंडर को 'हलो मेसेज' भेजा है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो भी विक्रम से संपर्क की हरसंभव कोशिश कर रही है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा के जो एकदम अंधेरे हिस्से वाले क्रेटर हैं, उनमें वॉटर आइस यानी बर्फ की शक्ल में पानी मौजूद हो सकता है। भारत के चंद्रयान 1 के साथ नासा के रडार ने भी ये खोजा था कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के 40 छोटे क्रेटरों में भारी मात्रा में वॉटर आइस मौजूद है।
अमेरिका ने अगस्त 1958 में अपने पहले मून मिशन पायनियर के जरिए चांद की जानकारी जुटाने की कोशिश की। हालांकि, लॉन्चिंग फेज के दौरान ही यह मिशन असफल हो गया।
चंद्रयान-2 मिशन पूरी तरह असफल नहीं रहा है। इसका ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में घूम रहा है। इस मिशन से मिली सीख इसरो को आगे के अभियानों में काम आएंगी।
लैंडर विक्रम के साथ ही उसमें मौजूद रोवर प्रज्ञान का भविष्य भी अधर में है। तय योजना के मुताबिक, लैंडर की चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद उसके अंदर से 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान बाहर आता। 14 दिन यानी 1 ल्यूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर 'प्रज्ञान' चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलता। इसका काम चांद की सतह की तस्वीरें और विश्लेषण योग्य आंकड़े इकट्ठा करना था।
कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों की एक सोच सामने आई थी कि क्यों न ऑर्बिटर की कक्षा घटाई जाए जिससे लैंडर के वह ज्यादा करीब से गुजर सकेगा। हालांकि इसमें ज्यादा ईंधन खर्च होने की आशंका भी उठी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि अगर लैंडर नहीं मिलता तो वे विक्रम और प्रज्ञान रोवर का अपग्रेडेड वर्जन चंद्रयान-3 के तहत भेजेंगे। हालांकि इसको लेकर इसरो ने अबतक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
अंतरिक्ष में मौजूद किसी वस्तु से संपर्क इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों द्वारा साधा जाता है। अंतरिक्ष संचार के लिए एस बैंड (माइक्रोवेव) और एल बैंड (रेडियो वेव) आवृत्ति वाली तरंगों का इस्तेमाल होता है।
‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के दौरान आखिरी पलों में चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी ऊपर इसरो का विक्रम से संपर्क टूट गया था। इसरो ऑर्बिटर की मदद से लगातार विक्रम को खोजने की कोशिश जारी है।
चीन के लोगों ने भारत के दूसरे चंद्र मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की इंटरनेट पर काफी सराहना की है और उनसे उम्मीद न छोड़ने तथा ब्रह्मांड में खोज जारी रखने को कहा है। यह बात सोमवार को यहां आधिकारिक मीडिया ने कही। चीन में बहुत से लोगों ने ट्विटर जैसी माइक्रो ब्लॉंगग साइट ‘साइना वीबो’ पर भारतीय वैज्ञानिकों से उम्मीद न छोड़ने को कहा।
सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स एक इंटरनेट उपभोक्ता के हवाले से कहा, ‘‘अंतरिक्ष खोज में सभी मनुष्य शामिल हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि किस देश को सफलता मिली, इसे हमारी प्रशंसा मिलनी चाहिए और जो अस्थायी रूप से विफल हुए हैं, उनका भी हौसला बढ़ाया जाना चाहिए।’’
‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क साधने के लिए इसरो की ओर से हरसंभव प्रयास किए जाने के बीच शहर के नजदीक स्थित एक चंद्र मंदिर में श्रद्धालुओं ने लैंडर से संपर्क कराने के लिए ‘चंद्र देव’ से प्रार्थना की। चंद्र मंदिर के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि इस दौरान चंद्र देव का शहद और चंदन सहित विभिन्न चीजों से (बने पंचामृत से) ‘अभिषेक’ किया गया। पूजा- अर्चना के बाद सामुदायिक भोज का भी आयोजन किया गया।
तिंगालुर स्थित श्री कैलाशनाथर (शिव) मंदिर के प्रांगण में ही चंद्र मंदिर भी है। यह नौ ग्रहों को सर्मिपत ‘‘नवग्रह’’ मंदिरों में से एक है। मंदिर प्रबंधक वी कन्नन ने प्रेट्र को से कहा, ‘‘लैंडर ‘विक्रम’ से (इसरो का)संपर्क टूट जाने के बाद हमने विशेष पूजा-अर्चना करने का निर्णय किया। चंद्र देव से लैंडर से दोबारा संपर्क कराने की प्रार्थना करते हुए सोमवार को यह विशेष पूजा-अर्चना की गयी।’’ उन्होंने कहा कि इस पूजा-अर्चना में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, ताकि लैंडर के साथ संपर्क हो जाए और आॅर्बिटर से उपयोगी जानकारी मिल सके।
इसरो चीफ के.सिवन का इंटरव्यू में दिया गया एक जवाब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल, एक टीवी इंटरव्यू में सिवन से पूछा गया कि एक तमिल के तौर पर इतने बड़े पद पर काबिज होने के बाद वह तमिलनाडु की जनता के लिए क्या कहना चाहेंगे? इसके जवाब में सिवन ने कहा कि वह सबसे पहले भारतीय हैं और एक भारतीय के तौर पर ही उन्होंने इसरो जॉइन किया था।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने चंद्रयान 2 मिशन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि वह अब तक दूसरे के कामों की वाहवाही लूटते थे, लेकिन पहली बार चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण करने गए और वह भी असफल हो गया। इसके बाद मंत्री सोशल मीडिया पर घिर गए और उन्हें इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। राज्य में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी मंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।
भगत से राज्य के कोरिया जिले में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं ने केंद्र में मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने को लेकर सवाल किया, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा कि अभी तक मोदी केवल दूसरे के किए (पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में किए गए) काम में फीता काटते थे, उद्घाटन करते थे और वाहवाही लूटते थे। वह पहली बार चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण करने गए और वह भी असफल हो गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम से शीघ्र संपर्क साध कर उसमें मौजूद ‘रोवर’ प्रज्ञान को उपयोग में लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। ‘लैंडर’ विक्रम के चंद्रमा की सतह पर शनिवार तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के दौरान आखिरी क्षणों में उसका इसरो के जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट गया था।
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तीखी बयानबाजी के बीच पाकिस्तान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री नमिरा सलीम ने भारत और इसरो को चंद्रयान..2 मिशन के लिए बधाई दी है। सलीम ने कहा है कि चंद्रमा पर लैंंिडग का प्रयास करना ही अपने आप में दक्षिण एशिया के साथ ही पूरे वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक ‘‘बड़ी छलांग’’ है। सलीम ने कराची की पत्रिका ‘साइंशिया’ को जारी एक बयान में कहा, ‘‘मैं भारत और इसरो को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की एक सफल सॉफ्ट लैंंिडग कराने के उसे ऐतिहासिक प्रयास के लिए बधाई देती हूं। चंद्रयान..2 चंद्रमा मिशन वास्तव में दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी छलांग है जो न केवल क्षेत्र बल्कि पूरे वैश्चिक अंतरिक्ष उद्योग को गौर्वांवित बनाता है।’’ सलीम अंतरिक्ष में जाने वाली पहली पाकिस्तानी हैं। वह सर रिचर्ड ब्रैनसन के वर्जिन गैलेक्टिक से अंतरिक्ष में गई थीं।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आर्बिटर में पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है। चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश तक हमारे समक्ष कोई समस्या नहीं आई। जो अतिरिक्त ईंधन डाला गया था उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। हर चीज योजना के मुताबिक हुई। हमारे पास (आर्बिटर में) अतिरिक्त ईंधन उपलब्ध है। ’’ इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘जीएसएलवी मार्क- ककक (चंद्रयान-2 को ले जाने वाले रॉकेट) के कार्य प्रदर्शन और अभियान के दक्ष प्रबंधन के चलते हमारे पास इसे सात बरसों तक जारी रखने के लिए अतिरिक्त ईंधन है।’’ इसरो ने कहा था कि चंद्रयान-2 अभियान के 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को हासिल कर लिया गया है और यह चंद्र विज्ञान में योगदान देना जारी रखेगा।
सूत्रों ने बताया कि इसरो की एक टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वे लैंडर के एंटेना इस तरह से फिर से व्यवस्थित कर सकते हैं कि संपर्क बहाल हो जाए। उन्होंने कहा, ‘‘कोशिशें जारी हैं।’’ इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर लैंडर के उतरने के दौरान आखिरी क्षणों में वेग घटने पर एंटेना की स्थिति में तब्दीली आ गई होगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘एक कमेटी इसकी पड़ताल कर रही है कि आखिर क्या गलत हुआ। जल्द ही वे जवाब ढूंढ लेंगे।’’ इस बीच, चंद्रयान-2 अभियान ने आर्बिटर के मामले में इसरो के लिए अच्छे परिणाम लाए हैं। 2,379 किग्रा वजन के आर्बिटर का जीवनकाल एक साल के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन अब वह करीब सात साल काम करने में सक्षम होगा।
इंटरनेट पर एक चीनी व्यक्ति ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष खोज के लिए महान प्रयास और त्याग किया है। कोरा जैसी साइट झिहु पर एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘हम सभी गटर में हैं, लेकिन हममें से कुछ लोग सितारों की ओर देख रहे हैं। जो भी देश बहादुरी के साथ अंतरिक्ष में खोज का प्रयत्न कर रहे हैं, वे हमारी ओर से सम्मान पाने के हकदार हैं।’’ ग्लोबल टाइम्स ने चीनी अंतरिक्ष विशेषज्ञ पांग झिहाओ के हवाले से कहा कि संभव है कि लैंडर ‘विक्रम’ का संपर्क संभवत: एटिट्यूड कंट्रोल थ्रस्टर्स (एसीटी) के विफल होने से टूटा होगा।
चीन के लोगों ने भारत के दूसरे चंद्र मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की इंटरनेट पर काफी सराहना की है और उनसे उम्मीद न छोड़ने तथा ब्रह्मांड में खोज जारी रखने को कहा है। चीन में बहुत से लोगों ने ट्विटर जैसी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘साइना वीबो’ पर भारतीय वैज्ञानिकों से उम्मीद न छोड़ने को कहा। सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स एक इंटरनेट उपभोक्ता के हवाले से कहा, ‘‘अंतरिक्ष खोज में सभी मनुष्य शामिल हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि किस देश को सफलता मिली, इसे हमारी प्रशंसा मिलनी चाहिए और जो अस्थायी रूप से विफल हुए हैं, उनका भी हौसला बढ़ाया जाना चाहिए।’’
बयान को लेकर सोशल मीडिया पर घिर जाने के बाद छत्तीसगढ़ के मंत्री भगत को फेसबुक के माध्यम से स्पष्टीकरण देना पड़ा। भगत ने फेसबुक पर एक पत्र जारी कर कहा, ‘‘चंद्रयान 2 मिशन के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की और प्रत्येक देशवासी ने इसकी सफलता के लिए प्रार्थना की। अंतिम क्षण में हम सफलता से चूक गए। हालांकि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चल रहा है कि विक्रम लैंडर से संपर्क बनाने की कोशिशें लगातार जारी है।’’ पत्र में मंत्री ने कहा, ‘‘मेरे दिल में देशभक्त और प्रतिभावान इसरो के वैज्ञानिकों के प्रति पूरा सम्मान है। उन्होंने वर्षों के अनुसंधान, विकास और अथक मेहनत से विश्वभर में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। उन्हें अपने काम का पूरा श्रेय मिलना चाहिये।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा इतना ही कहना है कि किसी भी नेता को श्रेय लेने की राजनीति से अलग रहना चाहिए। बात चाहे इसरो जैसी संस्था की हो या फिर भारत देश की मजबूत और देशभक्त सेना की।’’
छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने चंद्रयान 2 मिशन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि वह अब तक दूसरे के कामों की वाहवाही लूटते थे, लेकिन पहली बार चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण करने गए और वह भी असफल हो गया।इस टिप्पणी के बाद मंत्री सोशल मीडिया पर घिर गए और उन्हें इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। राज्य में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी मंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है। भगत से राज्य के कोरिया जिले में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं ने केंद्र में मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने को लेकर सवाल किया, जिसके जवाब में मंत्री ने कहा कि अभी तक मोदी केवल दूसरे के किए (पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में किए गए) काम में फीता काटते थे, उद्घाटन करते थे और वाहवाही लूटते थे। वह पहली बार चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण करने गए और वह भी असफल हो गया।
इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘जीएसएलवी मार्क- 3 (चंद्रयान-2 को ले जाने वाले रॉकेट) के कार्य प्रदर्शन और अभियान के दक्ष प्रबंधन के चलते हमारे पास इसे सात बरसों तक जारी रखने के लिए अतिरिक्त ईंधन है।’’ इसरो ने कहा था कि चंद्रयान-2 अभियान के 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को हासिल कर लिया गया है और यह चंद्र विज्ञान में योगदान देना जारी रखेगा।
चंद्र मंदिर प्रबंधक वी कन्नन ने कहा, ‘‘लैंडर ‘विक्रम’ से (इसरो का)संपर्क टूट जाने के बाद हमने विशेष पूजा-अर्चना करने का निर्णय किया। चंद्र देव से लैंडर से दोबारा संपर्क कराने की प्रार्थना करते हुए सोमवार को यह विशेष पूजा-अर्चना की गयी।’’ उन्होंने कहा कि इस पूजा-अर्चना में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, ताकि लैंडर के साथ संपर्क हो जाए और आॅर्बिटर से उपयोगी जानकारी मिल सके। कन्नन ने बताया कि लगभग एक दशक पूर्व ‘चंद्रयान-1’ मिशन से पहले भी यज्ञ किए गए थे। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के लैंडर की असफल ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ से पहले भी इस तरह का आयोजन किया गया था।
‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क साधने के लिए इसरो की ओर से हरसंभव प्रयास किए जाने के बीच शहर के नजदीक स्थित एक चंद्र मंदिर में श्रद्धालुओं ने लैंडर से संपर्क कराने के लिए ‘चंद्र देव’ से प्रार्थना की। चंद्र मंदिर के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि इस दौरान चंद्र देव का शहद और चंदन सहित विभिन्न चीजों से (बने पंचामृत से) ‘अभिषेक’ किया गया। पूजा- अर्चना के बाद सामुदायिक भोज का भी आयोजन किया गया। तिंगालुर स्थित श्री कैलाशनाथर (शिव) मंदिर के प्रांगण में ही चंद्र मंदिर भी है। यह नौ ग्रहों को सर्मिपत ‘‘नवग्रह’’ मंदिरों में से एक है ।
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर लैंडर के उतरने के दौरान आखिरी क्षणों में वेग घटने पर एंटेना की स्थिति में तब्दीली आ गई होगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘एक कमेटी इसकी पड़ताल कर रही है कि आखिर क्या गलत हुआ। जल्द ही वे जवाब ढूंढ लेंगे।’’ इस बीच, चंद्रयान-2 अभियान ने आर्बिटर के मामले में इसरो के लिए अच्छे परिणाम लाए हैं। 2,379 किग्रा वजन के आर्बिटर का जीवनकाल एक साल के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन अब वह करीब सात साल काम करने में सक्षम होगा। इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आर्बिटर में पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है। चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश तक हमारे समक्ष कोई समस्या नहीं आई। जो अतिरिक्त ईंधन डाला गया था उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। हर चीज योजना के मुताबिक हुई। हमारे पास (आर्बिटर में) अतिरिक्त ईंधन उपलब्ध है। ’’
इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार शाम कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी और तब से यह संकल्प दोहराया जा रहा है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि विक्रम को चंद्रमा की सतह के जिस स्थान पर उतरना था, उससे करीब 500 मीटर दूर (चंद्रमा की) सतह से वह टकराया। लेकिन इस पर इसरो ने आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है। सूत्रों ने बताया कि इसरो की एक टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वे लैंडर के एंटेना इस तरह से फिर से व्यवस्थित कर सकते हैं कि संपर्क बहाल हो जाए।
बता दें कि चंद्रमा पर 14 दिन का रात और 14 दिन की सुबह होती है। फिलहाल चंद्रमा पर दिन का समय है और अब इसरो के पास लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए सिर्फ 10 दिन का समय बाकी है। 10 दिन के बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी और ऐसे में लैंडर विक्रम से संपर्क साधना बेहद मुश्किल हो जाएगा। रात के समय चांद पर तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियल तक चला जाता है।