Chandrayaan-2 Vikram Lander: विक्रम लैंडर के साथ संपर्क करने की ISRO की कोशिश बीतते समय के साथ धूमिल होती जा रही है। दरअसल रोवर प्रज्ञान 14 दिन के लिए ही काम करने के लिए डिजाइन किया गया था। लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग ना होने के चलते इसरो का यह प्रयोग सफल नहीं रहा।
इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन के लिए देशवासियों से मिले अपार समर्थन के लिए उन्हें शुक्रिया कहा है। इसके साथ ही अब इसरो, डीआरडीओ के साथ मिलकर गगनयान प्रोजेक्ट को साकार करने की तैयारियों में जुट गया है।
इसरो और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘गगनयान’ परियोजना के लिए मानव केंद्रित प्रणालियां विकसित करने के लिहाज से सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।
रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि डीआरडीओ द्वारा इसरो को मुहैया कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण, पैराशूट आदि शामिल हैं।
चंद्रयान 2 के बाद इसरो ने गगनयान मिशन की तैयारी शुरू की। (Image source-twitter/isro)
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्रमा से जुड़ा मिशन था। चंद्रयान नाम का मतलब चंद्र से है। यानी कि चांद, जबकि यान का अर्थ वाहन (हिंदी व संस्कृत में) से है, जो कि इसमें ल्यूनर स्पेसक्राफ्ट है।
सूत्रों के अनुसार, इसरो की एक आंतरिक कमेटी विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में असफलता के मुद्दे पर जल्द ही एक रिपोर्ट भी जारी करेगी। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट लगभग बनकर तैयार है और जल्द ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। देश के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान 2’ के लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद भी भारतीय वैज्ञानिकों का हौसला टूटा नहीं है, और अभी भी संपर्क की कोशिश की जा रही है।
सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। इसरो ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया। हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे।’’इसरो ने कहा, ‘‘हमें प्रेरित करने के लिये शुक्रिया।’’
देश के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान 2’ के लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बाद देश और विदेश में भारतीयों से मिले समर्थन पर इसरो ने सभी देशवासियों का शुक्रिया अदा किया है। सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के कुछ ही मिनट पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। इसके बाद पूरा देश इसरो और वैज्ञानिकों के साथ खड़ा दिखा था।
इसरो ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया। हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे।’’ इसरो ने कहा, ‘‘आसमान छूने के लिए हमें प्रेरित करने का शुक्रिया।’’ चंद्रयान का सीधा नजारा देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां स्थित इसरो केंद्र पहुंचे थे।
चंद्रमा के अनसुलझे रहस्य समझना मानव जाति के लिए बेहद अहम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रमा कैसे बना और विकसित हुआ? यह जानने पर हम पूरे सोरल सिस्टम के बारे में बेहतरी से समझ सकेंगे, जिसमें पृथ्वी भी शामिल है।
इसरो ने एक आंतरिक कमेटी बनाकर चंद्रयान-2 मिशन पर एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक हो सकती है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के संंबंध में कुछ बातें हो सकती हैं।
इसरो के वैज्ञानिक चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग ना होने से निराश हैं, लेकिन उनका कहना है कि चंद्रयान-2 मिशन 90-95 प्रतिशत तक सफल रहा है। दरअसल ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और अहम जानकारियां भेज रहा है।
नासा का ऑर्बिटर LRO मंगलवार को विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के ऊपर से गुजरा। ऐसे में उम्मीद थी कि यह ऑर्बिटर विक्रम लैंडर की तस्वीर लेगा और फिर इससे इसरो को लैंडर के साथ संपर्क साधने में मदद मिलेगी। लेकिन अभी तक नासा ने तस्वीरें सार्वजनिक नहीं की हैं और उसने अभी इसकी तारीख का भी ऐलान नहीं किया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों की तमाम कोशिशों के बावजूद लैंडर से अब तक संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। हालांकि, ‘चंद्रयान-2’ के आॅर्बिटर ने ‘हार्ड लैंंिडग’ के कारण टेढ़े हुए लैंडर का पता लगा लिया था और इसकी ‘थर्मल इमेज’ भेजी थी। इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा था, ‘‘उत्तरोत्तर, आप कल्पना कर सकते हैं कि हर गुजरते घंटे के साथ काम मुश्किल होता जा रहा है। बैटरी में उपलब्ध ऊर्जा खत्म हो रही होगी और इसके ऊर्जा हासिल करने तथा परिचालन के लिए कुछ नहीं बचेगा।’’उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक गुजरते मिनट के साथ स्थिति केवल जटिल होती जा रही है...‘विक्रम’ से सपंर्क स्थापित होने की संभावना कम होती जा रही है।’’यह पूछे जाने पर कि क्या संपर्क स्थापित होने की थोड़ी-बहुत संभावना है, अधिकारी ने कहा कि यह काफी दूर की बात है।
डीआरडीओ द्वारा इसरो को मुहैया कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण, पैराशूट आदि मुहैया कराए जाएंगे।
चंद्रयान -2 की सॉफ्ट लैंडिंग में नाकाम रहने के बाद भी इसरो के वैज्ञानिकों का हौंसला टूटा नहीं है और अब उन्होंने एक और महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'गगनयान' की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो डीआरडीओ के साथ मिलकर जल्द ही इस योजना पर काम शुरू कर देगा।
चंद्रयान-2 मिशन को 45 दिन के सफर के बाद 7 सितंबर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंडिंग करनी थी, लेकिन अंतिम क्षणों में विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। माना जा रहा है कि विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हुई, जिसके चलते उससे संपर्क टूट गया।
लैंडर को चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंंडिंग’ के लिए डिजाइन किया गया था। इसके भीतर बंद रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है। सात सितंबर की घटना के बाद से लगभग एक सप्ताह निकल चुका है तथा अब इसरो के पास मात्र तीन चा दिन का वक्त ही शेष बचा है। इसरो ने कहा था कि वह 14 दिन तक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करता रहेगा।
‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से पुन: संपर्क करने और इसके भीतर बंद रोवर ‘प्रज्ञान’ को बाहर निकालकर चांद की सतह पर चलाने की संभावनाएं हर गुजरते दिन के साथ क्षीण होती जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि गत सात सितंबर को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया के दौरान अंतिम क्षणों में ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। यदि यह ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहता तो इसके भीतर से रोवर बाहर निकलता और चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देता।
पाकिस्तान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री नमीरा सलीम ने कहा है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र को नवोन्मेषी अंतरिक्ष कूटनीति से फायदा हो सकता है। वह पिछले हफ्ते चंद्रयान-2 मिशन पर भारत को बधाई देकर सुर्खियों में आ गई थीं। सलीम ने कहा कि अंतरिक्ष के जरिए हम राजनीति से ऊपर उठ सकते हैं जहां सभी सरहदें और सीमाएं विलीन हो जाती हैं।भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद नयी दिल्ली और इस्लामाबाद में तनाव के बीच सलीम ने कहा कि अंतरिक्ष खोज के युग में भारत और पाकिस्तान के नेताओं को उनका संदेश है कि क्षेत्र के विवादित मुद्दों के शांतिपूर्ण हल तलाशने के लिए दोनों देश शांति और भरोसे के लिए जगह बनाएं। सलीम ‘स्पेस ट्रस्ट’ की संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष हैं। यह एक गैर लाभकारी संस्था है। उन्होंने कहा कि वह अंतरिक्ष का व्यावसायीकरण करने का समर्थन करती हैं जो सभी क्षेत्रों के लिए अंतरिक्ष के दरवाजे खोले और उनका मानना है कि अंतरिक्ष अब विश्व नेताओं तथा राजनीतिक नेताओं के लिए खुला है।
मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) के निदेशक डॉ एस उन्नीकृष्णन नैयर की अध्यक्षता में इसरो के वैज्ञानिकों के एक दल ने यहां डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं के साथ करार किये जिनके तहत मानव अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी तकनीक तथा मानव केंद्रित प्रणालियां मुहैया कराई जाएंगी। इस मौके पर डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षा अनुप्रयोगों के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं की मौजूदा तकनीकी क्षमताओं को इसरो के मानव अंतरिक्ष मिशन की जरूरतों के हिसाब से ढाला जाएगा। डीआरडीओ वैज्ञानिक और महानिदेशक (जीवन विज्ञान) डॉ ए के सिंह ने कहा कि डीआरडीओ मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इसरो को सभी जरूरी सहयोग मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसरो ने 2022 में भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने से पहले मानव के अंतरिक्ष में पहुंचने की क्षमता प्रर्दिशत करने की योजना बनाई है।
इसरो ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे साथ खड़े रहने के लिये आपका शुक्रिया। हम दुनियाभर में सभी भारतीयों की आशाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहेंगे।’’इसरो ने कहा, ‘‘हमें प्रेरित करने के लिये शुक्रिया।’’ बता दें कि चांद की सतह पर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिग की कोशिश नाकाम हो गई थी। इसके बावजूद देशवासियों ने इसरो वैज्ञानिकों का जमकर हौसला बढ़ाया।
उधर, इसरो और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘गगनयान’ परियोजना के लिए मानव केंद्रित प्रणालियां विकसित करने के लिहाज से सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि डीआरडीओ द्वारा इसरो को मुहैया कराई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में अंतरिक्ष में भोजन संबंधी तकनीक, अंतरिक्ष जाने वाले दल की सेहत पर निगरानी, सर्वाइवल किट, विकिरण मापन और संरक्षण, पैराशूट आदि शामिल हैं।
इसरो को विक्रम लैंडर से संपर्क करने और उसकी स्थिति का पता लगाने के लिए नासा के LRO ऑर्बिटर से काफी उम्मीदें थी, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिल सकी। बता दें कि नासा का ऑर्बिटर मंगलवार को चांद पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट से गुजरा था। ऐसे में इस ऑर्बिटर के माध्यम से लैंडर से कुछ संपर्क होने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन फिलहाल उससे भी कुछ हासिल नहीं हो सका।