Chandrayaan-2 Vikram Lander: चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से फिर संपर्क स्थापित करने का समय नजदीक आने के साथ, नासा के मून ऑर्बिटर ने चांद के उस हिस्से की तस्वीरें खींची हैं, जहां भारत ने अभियान के तहत सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बृहस्पतिवार को इसकी पुष्टि की है। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था।

एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि इसने विक्रम के उतरने वाले स्थान के ऊपर से उड़ान भरी। लैंडर से 21 सितंबर को संपर्क साधने का फिर प्रयास किया जाएगा। सीनेट डॉट कॉम ने एक बयान में कैली के हवाले से कहा, ‘‘एलआरओसी टीम इन नयी तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पूर्व की तस्वीरों से उनकी तुलना कर यह देखेगी कि क्या लैंडर नजर आ रहा है (यह छाया में या तस्वीर में कैद इलाके के बाहर हो सकता है)।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा।

Live Blog

17:14 (IST)20 Sep 2019
कैसे बदलता है चंद का मौसम

परिक्रमा के दौरान चांद अपनी धुरी पर सिर्फ 1.54 डिग्री तक तिरछा होता है जबकि पृथ्वी 23.44 डिग्री तक। इस कारण चांद पर पृथ्वी की तरह मौसम नहीं बदलते और चांद के ध्रुवों पर ऐसे कई इलाके हैं जहां कभी सूरज की रोशनी या किरणें पहुंच ही नहीं पातीं।

16:40 (IST)20 Sep 2019
ऑर्बिटर का वजन

अभी ऑर्बिटर में करीब 500 किलो ईंधन है जो उसे सात साल से ज्यादा समय तक काम करने की क्षमता प्रदान करता है। लेकिन, यह अंतरिक्ष के वातावरण पर भी निर्भर करता है कि वह कितने साल काम करता है।

16:02 (IST)20 Sep 2019
1950 में हुई थी पहली बार शुरुआत

चांद पर जाने की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। अमेरिका और रूस ने इस दौरान 14 मिशन चांद पर भेजे थे। लेकिन अमेरिका को एक और रूस को 3 में सफलता मिली।

15:17 (IST)20 Sep 2019
आखिरी पलों में जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट

दरअसल, चंद्रमा की सतह पर शनिवार तड़के लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के दौरान आखिरी पलों में उसका इसरो के जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट गया था। उस वक्त विक्रम पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) से महज 2.1 किमी ऊपर था। ‘लैंडर’ विक्रम के अंदर ‘रोवर’ प्रज्ञान भी है। इसरो ने इस बारे में ट्वीट किया, ‘‘लैंडर से संपर्क करने के लिए कोशिशें जारी हैं।’’

14:57 (IST)20 Sep 2019
स्कैनिंग एक बार में रुकेगी नहीं

गौहर रजा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "स्कैनिंग एक बार में रुकेगी नहीं। हम उसे बार-बार स्कैन करेंगे। उसकी रफ्तार (उतरने के दौरान) पता करने की कोशिश करेंगे। ये डेटा पूरी मानव जाति इस्तेमाल करेगी। यह ऐसा खजाना है, जो हमें आगे कदम बढ़ाने में जरूरत पड़ेगी। आम जनता को यह समझना चाहिए कि साइंस में कोई चीज असफल नहीं होगी। हम जब किसी चीज (लक्ष्य) में सफल नहीं हो पाते हैं, तब हमारी उसमें देर हो जाती है। हो सकता है कि दो या तीन साल बाद हो। सिर्फ यही है कि तारीख में देरी हो जाए। वैज्ञानिकों के पास हताश होकर बैठने का विकल्प नहीं होती, क्योंकि देश को, मानवता को और विज्ञान को इसकी जरूरत है। यह पूरा होगा ही।"

14:22 (IST)20 Sep 2019
फिर भेजेंगे विक्रम और प्रज्ञान

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि अगर लैंडर नहीं मिलता तो वे विक्रम और प्रज्ञान रोवर का अपग्रेडेड वर्जन चंद्रयान-3 के तहत भेजेंगे। हालांकि इसको लेकर इसरो ने अबतक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

13:59 (IST)20 Sep 2019
सतह पर साबुत अवस्था में है लैंडर

अभियान से जुड़े इसरो के सीनियर अधिकारी बोले, ‘‘आर्बिटर कैमरा की तस्वीरों से यह प्रर्दिशत होता है कि लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर साबुत अवस्था में है, वह टूट कर नहीं बिखरा है। यह झुकी हुई अवस्था में है। यह अपने चार पैरों पर खड़ा नहीं है, जैसा कि यह सामान्यत: रहता है।’’ अधिकारी ने बताया, ‘‘यह उलटा नहीं है। यह एक ओर झुका हुआ है।’’

13:39 (IST)20 Sep 2019
विश्लेषण को ऐसे साबित किया

नासा के एक प्रवक्ता ने इससे पहले कहा था कि इसरो के विश्लेषण को साबित करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के लक्षित इलाके की पहले और बाद में ली गई तस्वीरों को साझा करेगी।

12:50 (IST)20 Sep 2019
लैंडिंग सफल नहीं रही थी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल का सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था। लैंडर का आखिरी क्षण में जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था।

12:32 (IST)20 Sep 2019
ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा

रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा।

11:45 (IST)20 Sep 2019
विक्रम के उतरने वाले स्थान के ऊपर से उड़ान भरी

एलआरओ मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि इसने विक्रम के उतरने वाले स्थान के ऊपर से उड़ान भरी। लैंडर से 21 सितंबर को संपर्क साधने का फिर प्रयास किया जाएगा। सीनेट डॉट कॉम ने एक बयान में कैली के हवाले से कहा, ‘‘एलआरओसी टीम इन नयी तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पूर्व की तस्वीरों से उनकी तुलना कर यह देखेगी कि क्या लैंडर नजर आ रहा है (यह छाया में या तस्वीर में कैद इलाके के बाहर हो सकता है)।’’

11:30 (IST)20 Sep 2019
नासा ने तस्वीरें ली

नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली, जहां विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था।