आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दी गई उस ‘आम सहमति’ को वापस ले लिया है जिसके आधार पर सीबीआई राज्य सरकार को बिना कोई सूचना दिए राज्य में आकर कभी भी कोई भी छानबीन या सर्च ऑपरेशन कर सकती थी। सहमति वापस लेने के बाद अब सीबीआई के अधिकारियों को राज्य में किसी तरह की आधिकारिक कार्रवाई करने से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। पिछले हफ्ते 08 नवंबर को गृह विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में राज्य सरकार ने कहा है कि सीबीआई के टॉप अधिकारियों पर लगे घूस के आरोपों के बाद सीबीआई पर लोगों का भरोसा कम हुआ है, इसलिए सरकार उस आम सहमति को वापस ले रही है।
इंडिया टुडे से बातचीत में सीबीआई के सूत्रों ने फिलहाल इस तरह की कोई भी चिट्ठी मिलने से इनकार किया है। सूत्रों ने बताया कि अगर ऐसी चिट्ठी मिलती भी है तो जरूरी पड़ने पर सीबीआई उस पर विशेषज्ञों से कानूनी राय लेगी। जब तक नोटिफिकेशन की चिट्ठी नहीं मिल जाती, तब तक कुछ कहना उचित नहीं है। बता दें कि चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी इसी साल एनडीए से अलग हुई है। फिलहाल नायडू साल 2019 के चुनावों में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम का झंडा थामे हुए हैं और सभी भाजपा विरोधी दलों के नेताओं से लगातार बैठकें कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा और वाईएसआर कांग्रेस पर राज्य की सरकार को अस्थिर करने के भी आरोप लगाए हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा सीबीआई के एंट्री पर बैन लगाए जाने का समर्थन किया है और कहा है कि सीबीआई भाजपा के इशारे पर चल रही थी। पिछले महीने अक्टूबर में इसी तरह का एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था, जिसमें सीबीआई ने छत्तीसगढ़ सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि राज्य में एंट्री से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया था कि सीबीआई को इसकी जरूरत नहीं है।
