Chandigarh IAS Officers Paris Trip: टैक्सपैयर्स के पैसों से पैरिस (Paris) घूम रहे चंडीगढ़ के तीन आईएएस अधिकारी (IAS Officers) इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। चंडीगढ़ के तीन पूर्व IAS अफसरों पर जनता के टैक्स के पैसों को उड़ाने का आरोप लगा है। तीनों अधिकारी 2015 में फ्रांस की यात्रा पर गए थे। उस दौरान उन्होंने यहां पर फिजूलखर्ची की थी। चंडीगढ़ के डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (Central) की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है।
चंडीगढ़ प्रशासन को पेरिस के ले कार्बुजिए फाउंडेशन ने इनविटेशन भेजा था। यह न्योता स्विस-फ्रेंच आर्किटेक्ट कंपनी ले कार्बुजिए की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर होने जा रही एक बैठक के मद्देनजर दिया था। इस बैठक के लिए चंडीगढ़ सरकार ने चार अफसरों के नाम का चयन किया था। इसके कुछ समय बाद इन्हें गृह मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा था। लेकिन इनमें से केवल तीन अधिकारियों को ही इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए भेजा गया। जिन अधिकारियों को भेजा गया उनमें विजय देव, विक्रम देव दत्त और अनुराग अग्रवाल शामिल है।
7 लाख रुपये का बढ़ा पेरिस यात्रा का बजट
जांच रिपोर्ट में यह बात भी निकलकर सामने आई है कि इस ट्रिप का शुरुआती खर्च पहले 18 लाख रुपये का था। जो बाद में बढ़कर 25 लाख से ज्यादा का हो गया। बिजनेस क्लास की एक टिकट की कीमत तकरीबन 1.77 लाख रुपये थी। वहीं, होटल भी काफी किफायती था। इतना ही नहीं, ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पता चला कि इन सभी की यह पेरिस ट्रिप केवल एक ही दिन की थी, लेकिन इसे बिना किसी की मंजूरी के सात दिन तक के लिए बढ़ा दिया गया। बता दें कि बिना मंजूरी के किसी विदेश यात्रा को ज्यादा से ज्यादा पांच दिन तक के लिए ही बढ़ाया जा सकता है।
चंडीगढ़ प्रशासन ने अब उठाए ये कदम
इस रिपोर्ट में ये भी पाया गया कि ये इनविटेशन केवल चंडीगढ़ के मुख्य आर्किटेक्ट के लिए था, जबकि इसके बजाय सचिव स्तर के तीन अधिकारी इसमें शामिल हुए और वो टैक्सपैयर्स के खर्चों पर। साथ ही, इसमें यह भी सामने आया गया कि इस यात्रा का खर्च ले कार्बुजिए फाउंडेशन की तरफ से नहीं उठाया गया था। इन तीन में से एक आईएएस अफसर अब रिटायर हो चुके हैं, जबकि दो का ट्रांसफर हो चुका है।
ऑडिट जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अब दिल्ली की यात्रा हवाई जहाज के बदले ट्रेन से करनी होगी और आधिकारिक यात्राओं के दौरान अधिकारी केवल सरकारी आवास में ही रूक सकेंगे।