सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा शीर्ष अदालत के कर्मचारियों को ‘अदालती भत्ता’ देने की सिफारिश को खारिज करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी कल्याण संघ की याचिका पर शुक्रवार को नोटिस जारी किया।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें कहा गया था कि 25 सितंबर, 2020 को कानून और न्याय मंत्रालय का पत्र जिसमें सीजेआई की सिफारिश को खारिज करने के अपने फैसले से अवगत कराया गया था, संविधान के अनुच्छेद 146 और 14 का उल्लंघन था।
सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों ने संसद में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाले संसदीय भत्ते के समान ‘अदालती भत्ते’ की मांग की है। दो समितियों की सिफारिशों के बाद, सीजेआई ने मंजूरी दे दी, जिसके बाद इस पर राष्ट्रपति की तरफ से मंजूरी की जरूरत थी, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया।
डिवीजन बेंच ने नोटिस जारी किया: सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों ने केंद्र के इनकार के खिलाफ सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि यह अनुच्छेद 14 और 146 का उल्लंघन है। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने नोटिस जारी किया है। अधिवक्ता के. परमेश्वर के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने जनवरी 2015 में सीजेआई से संसदीय भत्ते के समान अदालती भत्ता देने का अनुरोध किया था।
इस पर विचार करने के लिए अधिकारियों की एक कमेटी और जजों की कमेटी को नियुक्त किया गया था। अधिकारियों की कमेटी ने अप्रैल 2017 में अनुदान की अनुमति देने की सिफारिश की थी। इसके बाद, जजों की समिति ने भी मई 2019 में सीजेआई को यही सिफारिश की। सितंबर 2020 में, मंत्रालय ने बिना कोई कारण बताए और राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्ताव रखे बिना पत्र के माध्यम से प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इस प्रकार, याचिकाकर्ता संगठन ने यह तर्क देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया कि मंत्रालय के इनकार ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को पूरी तरह से कमजोर कर दिया है।