(लिज मैथ्यू, उमा विष्णु)
पिछले तीन महीने से अधिक समय से देशभर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है। सरकार ने अभी तक किसान संगठनों से बातचीत के लिए कोई भी तारीख तय नहीं की है। इसी बीच केंद्र सरकार में मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि भाजपा पर किसान आंदोलन का प्रभाव पड़ा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी चुनाव होने में काफी समय है।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में संजीव बालियान ने कहा कि निश्चित रूप से किसान आंदोलन का कुछ प्रभाव जरूर है लेकिन चुनाव के लिए हमारे पास पर्याप्त समय है। आगे उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान जिस कृषि कानून का विरोध उससे पश्चिमी यूपी के किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एपीएमसी मंडियां नहीं हैं और इन क्षेत्रों में पहले से ही चीनी मिलों और किसानों के बीच कांट्रेक्ट फार्मिंग हो रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में जाट समुदाय भावनात्मक रूप से जुड़ा है।
इसके अलावा जब संजीव बालियान से यह पूछा गया कि अगर उत्तरप्रदेश पुलिस 28 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने के लिए नहीं पहुंचती तो क्या यह आंदोलन फैलता। इसके जवाब में संजीव बालियान ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं, इसे टाला जा सकता था। साथ ही उन्होंने कहा कि इसका पूरा जवाब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही दे सकते हैं।
इस दौरान जब संजीव बालियान से पश्चिमी उत्तरप्रदेश के जाट मुस्लिम गठजोड़ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मुसलमानों ने कभी भी जाट उम्मीदवारों को वोट नहीं दिया। लेकिन जब चौधरी चरण सिंह और लोकदल मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारते थे तब जाट उन्हें वोट देते थे। भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसने जाटों को सम्मान दिया। आज उत्तरप्रदेश में भाजपा के पास जाट समुदाय के 14 विधायक, दो एमएलसी और चार सांसद हैं। जिनमें से चार राज्य सरकार में मंत्री हैं और एक केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
साथ ही उन्होंने पिछले दिनों सोरम गांव में हुई घटना के लिए राष्ट्रीय लोकदल को जिम्मेवार ठहराया। संजीव बालियान ने कहा कि यह लोगों का गुस्सा नहीं था बल्कि रालोद से जुड़े लोगों ने इसको अंजाम दिया था।