सरकार की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वो 11 महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने के लिए तैयार है। सरकार का ये बयान उस चेतावनी के बाद आया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आदेश नहीं माना गया तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
बार एण्ड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने सेना के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि शीर्ष अदालत महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने में विफल रहने के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करेगी। सुप्रीम कोर्ट 11 महिला अधिकारियों द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सेना पर अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया था।
सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत को सूचित किया कि उसने 11 अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का फैसला किया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम महिला एसएससी अधिकारियों से संबंधित सभी बकाया मुद्दों को खत्म करने में सेना के अधिकार के उचित रुख की सराहना करते हैं। सेना अपने अधिकार में सर्वोच्च हो सकती है लेकिन देश का संवैधानिक न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र में सर्वोच्च है”।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय सेना में कुल 39 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया था। इसने केंद्र सरकार को उन महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन की अनुमति देने का आदेश दिया था, जिन्हें फिटनेस मानकों के असमान आवेदन के आधार पर इससे बाहर रखा गया था।
फरवरी 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर स्थायी कमीशन देने की अनुमति दी गई थी। हाईकोर्ट की तरफ से यह आदेश 2010 को आया था।
सेना में स्थायी कमीशन का अर्थ है रिटायरमेंट तक कैरियर, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 साल के लिए होता है। जिसमें 10 साल के अंत में स्थायी कमीशन छोड़ने या चुनने का विकल्प होता है। यदि किसी अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं मिलता है, तो अधिकारी चार साल का विस्तार चुन सकता है।