Manoj Naravane Book: पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की एक किताब फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी (Four Stars of Destiny: An Autobiography) को अभी तक केंद्र की मंजूरी नहीं मिली है। जनरल नरवणे ने लगभग एक साल पहले यह किताब लिखकर प्रकाशकों को सौंप दी थी। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने अभी तक इसके पब्लिकेशन को मंजूरी नहीं दी है। रक्षा मंत्रालय को इस किताब की कुछ एंट्रीज पर आपत्ति है और इसकी समीक्षा की इजाजत नहीं मिली है।

जनरल नरवणे को हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर उनसे उनकी पुस्तक ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ के बारे में पूछा गया। उन्होंने बताया कि इस पर फैसला पब्लिशर और रक्षा मंत्रालय के पास पेंडिंग है।

जनरल मनोज नरवणे ने क्या कहा?

जनरल नरवणे ने कहा, “मेरा काम किताब लिखकर पब्लिशर को सौंपना था। पब्लिशर की जिम्मेदारी थी कि वे मेरी किताब के लिए रक्षा मंत्रालय से इजाजत लें। उन्होंने किताब को इजाजत के लिए रक्षा मंत्रालय भेजा। मंत्रालय किताब की समीक्षा कर रहा था। अब एक साल हो गया है। किताब की समीक्षा अभी भी चल रही है।” किताब लिखते समय मैं बहुत खुश था। अब जब रक्षा मंत्रालय को सही लगेगा, तो वे किताब के पब्लिकेशन की अनुमति दे देंगे।”

मनोज नरवणे की किताब में क्या है?

नरवणे की किताब “फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी” में देश के कुछ संवेदनशील सैन्य अभियानों और उनके पीछे के राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र होने की संभावना है। कुछ महीने पहले, किताब की भूमिका का एक हिस्सा वायरल हुआ था। इसमें अग्निवीर योजना को लेकर किए गए दावों पर काफी चर्चा हुई थी। गौरतलब है कि जब नरवणे सेना प्रमुख थे, तब 2020 में गलवान क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर हमला करने की घटना हुई थी।

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चीनी सेना की घुसपैठ

इस किताब में 31 अगस्त 2020 की रात को नरवणे और तत्कालीन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच हुई चर्चा का उल्लेख है। जिस दिन चीनी सेना ने लद्दाख के रेचिन ला दर्रे से घुसपैठ की थी। किताब में कहा गया है कि जब राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में सूचित किया, तो मोदी ने उन्हें निर्देश दिया कि ‘जो आपको ठीक लगे, वह करें।’

अग्निवीर योजना?

नरवणे के कार्यकाल के दौरान ही यानी जून 2022 में देश में अग्निवीर योजना लागू की गई थी। हालांकि, उस समय सेना ने अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने वाले 75 फीसदी युवाओं को सेवा में बनाए रखने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन सरकार ने इसे घटाकर 25 फीसदी कर दिया। इसके अलावा, इन सैनिकों को केवल 20000 रुपये की सैलरी दी जाती थी। लेकिन इसे बढ़ाकर 30000 रुपये कर दिया गया।